नक्सलियों के विरुद्ध अभियान में सुरक्षा बलों के लिए कोल्हान का जंगल चुनौती बना हुआ है। यहां झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ के जवान मिलकर नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चला रहे हैं। बूढ़ा पहाड़, बुलबुल जंगल व ट्राई जंक्शन को नक्सलियों से खाली कराने में सुरक्षा बलों को जितना नुकसान नहीं पहुंचा, उससे कहीं अधिक कोल्हान के जंगल में अभियान चलाने में परेशानी हो रही व नुकसान पहुंच रहा है। 

कोल्हान के जंगली क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा प्लांट आईडी से सुरक्षा बलों के साथ-साथ क्षेत्र के ग्रामीणों को भी नुकसान पहुंचा है। नवंबर 2022 से लेकर अब तक सुरक्षा बल के चार जवान बलिदान हुए और 28 घायल हुए। इसके अलावा 16 ग्रामीणों की भी जान गई। इनमें से 11 ग्रामीणों की मौत आइईडी ब्लास्ट से हुई, जबकि पांच की नक्सलियों ने हत्या कर दी। नौ ग्रामीण लैंड माइंस विस्फोट में जख्मी हुए हैं।

झारखंड पुलिस मुख्यालय के अनुसार राज्य में उग्रवादियों को खत्म करने के लिए सुरक्षा बलों की चौतरफा कार्रवाई जारी है। इनमें झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा व झारखंड जगुआर के जवान एक साथ अभियान चला रहे हैं। नक्सलियों के शीर्ष नेता पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा, केंद्रीय कमेटी सदस्य अनल, असीम मंडल व अन्य नक्सली नेता दस्ता सदस्यों के साथ कोल्हान के जंगली क्षेत्र में अपना ठिकाना बनाए हुए हैं और लगातार सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं।

ग्रामीणों का विश्वास जीत रहे जवान

नक्सलियों से भी हथियार डालने की अपील कोल्हान के जंगली क्षेत्र में टोंटो व गोइलकेरा थाना क्षेत्र के गांव हैं, जहां के ग्रामीणों का विश्वास जीतने के लिए सुरक्षा बल के जवान लगे हुए हैं। नक्सलियों से जंग जारी है। वरिष्ठ अधिकारियों ने नक्सलियों को भी हथियार डालकर सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाने की अपील की है। सुरक्षा में तैनात जवान मुठभेड़ में घायल नक्सलियों का भी इलाज करवा रहे हैं। 

गत 13 अक्टूबर को पुलिस से मुठभेड़ में एक नक्सली घायल हो गया था। वह नाबालिग था। उसके साथियों ने उसे जख्मी हालत में छोड़ दिया था और भाग निकले थे। 14 अक्टूबर को सर्च अभियान के दौरान वह नक्सली सुरक्षा बलों को जख्मी हालत में मिला था, उसे जवानों ने कंधे पर रखकर पांच किलोमीटर दूर प्राथमिक उपचार केंद्र तक पहुंचाया था। यहां से प्राथमिक उपचार के बाद हेलीकाप्टर से बेहतर इलाज के लिए रांची पहुंचाया गया था।