अपराध अनुसंधान विभाग के अधीन संचालित साइबर अपराध थाने की पुलिस ने साइबर ठगी में शामिल चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

ये अपराधी पैन कार्ड अपडेट के नाम पर लिंक भेजकर लोगों के खाते में सेंध तो लगाते ही थे, साथ ही पोर्नोग्राफिक, डेटिंग वेबसाइट तथा फेसबुक पेज बनाकर उसपर विज्ञापन डालकर भी ठगी करते थे।

ये उक्त वेबसाइट तथा फेसबुक पेज पर लड़के-लड़कियों से डेटिंग तथा एस्कार्ट सर्विस के लिए फर्जी मोबाइल नंबर डालते थे। उक्त नंबर पर संपर्क करने वालों को रजिस्ट्रेशन तथा अन्य अग्रिम शुल्क के नाम पर ठगी करते थे। साइबर अपराध थाने की पुलिस ने पूर्व में मिली शिकायतों के आधार पर चारों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने इनके पास से 11 मोबाइल फोन, 25 सिमकार्ड, 14 चेकबुक-पासबुक, 03 लैपटाप, 21500 रुपये नकद, एक स्वाइप मशीन, एक स्कैनर मशीन तथा एक राउटर बरामद किया है। चारो ही आरोपितों के विरुद्ध गिरिडीह के साइबर थाने में दो व गांडेय थाने में एक प्राथमिकी दर्ज है।

लगातार मिल रही सूचनाओं के सत्यापन में पकड़े गए सभी आरोपित

साइबर थाने की सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता व डीएसपी नेहा बाला ने शनिवार को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान पूरे मामले का खुलासा किया।

अधिकारियों ने बताया कि सीआईडी को सूचनाएं मिल रहीं थी कि बड़े पैमाने पर विभिन्न एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, एसबीआई, पीएनबी के केवाईसी अपडेट के लिए बैंकों के खाता धारकों को फर्जी एप से संबंधित फिशिंग यूआरएल (लिंक) का एसएमएस भेजा जा रहा है।

इस लिंक को क्लिक करने पर इंटरनेट बैंकिंग का एक फर्जी एप मोबाइल पर इंस्‍टॉल हो जाता है। उसपर लॉग इन करने पर साइबर अपराधी खाते से डेटा व रुपयों की ठगी कर लेते थे। इन्हीं सूचनाओं के सत्यापन में ये चारो आरोपित पकड़े गए हैं। इनसे छानबीन में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं हैं।

ठगी से बचने के लिए बरतें सावधानी

डीजी सीआईडी अनुराग गुप्ता ने आम जनता से अपील की है कि किसी अज्ञात मोबाइल नंबर से काल आने पर अपनी कोई निजी जानकारी साझा न करें।

किसी भी अज्ञात नंबर से एसएमएस आए तो दिए गए अज्ञात, संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें। गूगल प्ले स्टोर का प्रयोग करने से पहले गूगल प्ले प्रोटेक्ट की सुविधा का प्रयोग करें तथा बैंक से संबंधित किसी भी एप पर संदेह होने पर नजदीकी बैंक शाखा में संपर्क करें।

इंटरनेट सर्च इंजन, गूगल एड्स व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिए गए कस्टमर केयर हेल्पलाइन नंबर पर भरोसा न करें।

कस्टमर केयर नंबर के लिए अधिकृत वेबसाइट पर जाएं। साइबर अपराध का शिकार पर होने पर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर या ऑनलाइन डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट साइबरक्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर रिपोर्ट करें।