विश्व हिंदी अधिष्ठान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
प्रो. केशरीलाल वर्मा और डॉ. विनय कुमार पाठक मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित
डॉ. मीनकेतन प्रधान के दो काव्य संग्रह ‘दुनिया ऐसी’ एवं ‘साबुत’ का विमोचन
अमेरिका, डेनमार्क, दुबई, कतर, नीदरलैंड, बुल्गारिया, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया तथा भारत के साहित्यकारों की कृतियों की हुई समीक्षा
रायगढ़, विश्व हिन्दी अधिष्ठान रायगढ़ (छत्तीसगढ़) एवं देवम् फाउंडेशन बुल्गारिया (यूरोप) के संयुक्त तत्त्वावधान में 24अक्टूवर 2026 को अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी गरिमामय रूप से सम्पन्न हुई। अधिष्ठान के संस्थापक डॉ. मीनकेतन प्रधान के कुशल निर्देशन में आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि द्वय प्रो. केशरीलाल वर्मा, कुलपति, छत्रपति शिवाजी विश्वविद्यालय मुम्बई (महाराष्ट्र) एवं डॉ. विनय कुमार पाठक, कुलपति, थावे विद्यापीठ गोपालगंज (बिहार) रहे। इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में अधिष्ठान के संस्थापक डॉ. मीनकेतन प्रधान की सद्य: प्रकाशित दो काव्य कृतियाँ ‘दुनिया ऐसी’ व ‘साबुत’ का विमोचन भी किया गया। दीप प्रज्ववलन से आयोजन की विधिवत शुरुआत हुई। तत्पश्चात डॉ. वंदना कुंवर(ग़ाज़ियाबाद ) ने सस्वर सरस्वती वंदना का गान किया। उद्घाटन सत्र में देवम् फाउंडेशन बुल्गारिया की संस्थापक डॉ. मौना कौशिक ने सर्वप्रथम स्वागत उद्बोधन किया। उन्होंने आयोजन में ऑफलाइन व ऑनलाइन संयुक्त रूप से उपस्थित समस्त अतिथियों एवं साहित्यकारों का स्वागत अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि आज का यह आयोजन अपने आप में इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि इसमें विश्व के लगभग 10 अलग-अलग राष्ट्रों के साहित्यकारों की रचनाओं की समीक्षा होने वाली है जो इसके वृहद स्वरूप को खुद ब खुद बयान करता है। उन्होंने डॉ. प्रधान को इतने महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन के लिए शुभकामनाएँ दी। इस तारतम्य में अधिष्ठान के विदेश प्रभाग संयोजक मनीष पाण्डेय (नीदरलैंड)ने आयोजन की सार्थकता को निरूपित करते हुए वैश्वक स्तर पर हिन्दी के विकास विस्तार के लिए इन साहित्यिक गतिविधियों को अत्यंत प्रेरक बताया ।उन्होंने डॉ.मीनकेतन प्रधान के व्यक्तित्व कृतित्व को समसामयिक साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय बताया । इस अवसर पर आयोजन के मुख्य अतिथि प्रो. केशरीलाल वर्मा का ऑनलाइन उद्बोधन हुआ। उन्होंने रायगढ़ (छत्तीसगढ़) में इस प्रकार के बड़े कार्यक्रम के लिए आयोजक मण्डल को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह आयोजन रायगढ़ की साहित्यिक धारा को वैश्विक पटल पर नई पहचान दिलाने में सहायक होगा। उन्होंने डॉ. प्रधान को उनकी काव्य कृतियों के लिए शुभकामनाएं दी। पूर्व में भी रायगढ़ के विभिन्न आयोजनों से जुड़ने की बात को उन्होंने याद करते हुए साहित्य- जगत् में रायगढ़ के योगदान को निरूपित किया। प्रो. वर्मा के उद्बोधन पश्चात डॉ. विनय कुमार पाठक का उद्बोधन हुआ। उन्होंने इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं देते हुए डॉ. प्रधान के काव्य संग्रह ‘दुनिया ऐसी’ संग्रह की विशिष्टताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा रचनाकार की यह कृति नए शिल्प विधान पर आधारित है जो अपने आप में बिल्कुल नवीन और मौलिक है। इसी तरह उन्होंने दूसरे काव्य संग्रह ‘साबुत’ की विशेषता बताते हुए उसकी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए रचनाकार द्वारा प्रयुक्त ‘साबुत’ शब्द की भाषा वैज्ञानिक दृष्टि का उल्लेख किया है। डॉ. विनय कुमार पाठक के आयोजन स्थल पर प्रत्यक्ष उपस्थिति से आयोजन की गरिमा वृद्धि हुई। इस अवसर पर काव्य वाटिका रायगढ़ शाखा के संयोजक मंडल सदस्य आशा मेहर और लिसा पटेल ने आयोजन स्थल में उपस्थित होकर मुख्य अतिथि डॉ.पाठक तथा अधिष्ठान के संस्थापक डॉ. मीनकेतन प्रधान को शाल श्रीफल से सम्मानित किया ।उन्होंने अपनी प्रकाशित कृतियाँ भेंट कर साहित्यिक उपलब्धियों से अवगत कराया
तदुपरांत बिलासपुर से आये वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चन्द्र श्रीवास्तव जी ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए डॉ. प्रधान के काव्य संग्रह ‘पिता’ की अलग अलग विशेषताओं पर प्रकाश डाला तथा आयोजन में पुस्तक विमोचन ,पुस्तक समीक्षा की महत्ता को उजागर किया ।इस प्रथम उद्घाटन अवसर पर मोतीलाल नेहरू महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय में पदस्थ सहायक प्राध्यापक सौरभ सराफ ने अतिथियों और वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। आयोजन के दूसरे चरण में राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय स्तर के रचनाकारों की अलग-अलग बारह कृतियों की समीक्षा का सत्र आरम्भ हुआ। जिसके अंतर्गत रिश्ते (काव्य संग्रह)- स्व. श्रीमती जय वर्मा (प्रवासी साहित्यकार, ब्रिटेन), रॉन्ग नम्बर' - लघुकथा संग्रह- डॉ. वीणा विज 'उदित' (प्रवासी साहित्यकार, अमेरिका), संदिग्ध (कहानी संग्रह)- श्री तेजेन्द्र शर्मा (प्रवासी साहित्यकार, ब्रिटेन), नीदरलैंड की चर्चित कहानियाँ' डॉ. ऋतु शर्मा ननंन पांडे (प्रवासी साहित्यकार, नीदरलैंड), मछुआरे की लड़की' - (कहानी)- डॉ. विनोद कुमार वर्मा (बिलासपुर, छ.ग.), हाई टेक (कहानी संग्रह) डॉ. करुणा पांडे (लखनऊ), किनारों पर वापसी(लघुकथा संग्रह ) डॉ.विभा रानी श्रीवास्तव (अमेरिका) कैराली मसाज पार्लर (उपन्यास)- श्रीमती अर्चना पैन्यूली (प्रवासी साहित्यकार, डेनमार्क), अधजले ठुड्डे (कहानी संग्रह ) डॉ.हंसा दीप (प्रवासी साहित्यकार) कैनेडा, ‘बोनसाई’ (हाइकु संग्रह) डॉ. अनिल कुमार सक्सेना (दुबई), पिता (काव्य संग्रह)- डॉ. मीनकेतन प्रधान (रायगढ़, छ.ग.) तथा ‘ मैं मर गया ‘ (काव्य संग्रह ) डॉ. रमेश कुमार टंडन पर विस्तृत विमर्श किया गया। इन कृतियों की समीक्षा देश विदेश के प्रतिष्ठित विद्वानों- समीक्षकों द्वारा की गई। सर्व प्रथम ‘रिश्ते’ काव्य संग्रह की कविताओं का वाचन सुश्री अश्विनी केगांवकर (नीदरलैंड) द्वारा किया गया ।जिसकी समीक्षा श्री लिंगम चिरंजीव राव (आन्ध्र प्रदेश) ने की । ‘रॉन्ग नम्बर’ लघु कथा संग्रह की समीक्षा घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ (भोपाल), ‘संदिग्ध’ कहानी संग्रह की सूर्यकांत शर्मा (दिल्ली) , डॉ. रक्षा गीता (दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली), ‘नीदरलैंड की चर्चित कहानियाँ’ की समीक्षा प्रो. सुशील कुमार शर्मा (मिजोरम) एवं दिनेश कुमार माली (ओडिशा), ‘मछुआरे की लड़की कहानी’ की समीक्षा डॉ. बेठियार सिंह साहू (जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा,बिहार) एवं सौरभ सराफ (दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली), ‘हाई टेक’ कहानी संग्रह की समीक्षा डॉ. सीमा रानी प्रधान (रायपुर, छत्तीसगढ़) एवं सुश्री शालिनी वर्मा (दोहा, कतर), किनारों पर वापसी पर रचनाकार विभा रानी श्रीवास्तव का अंतिम कथ्य , ‘कैराली मसाज पार्लर’ की समीक्षा प्रो. प्रतिभा मुदलियार (कर्नाटक), डॉ. मुन्ना लाल गुप्ता (महाराष्ट्र) एवं डॉ. बेठियार सिंह साहू (जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा,बिहार), ‘अधजले ठुड्ढे’ कहानी संग्रह की समीक्षा विजय कुमार तिवारी (भुवनेश्वर, ओडिशा), ‘बोनसाई’ हाइकु संग्रह समीक्षा डॉ. जगदीश व्योम (नोएडा) व कमलेश भट्ट 'कमल' (नोएडा),
‘मैं मर गया’ कविता संग्रह की अन्तर्दृष्टि पर रचनाकार डॉ. रमेश कुमार टण्डन (रायगढ़, छत्तीसगढ़),तथा ‘पिता’ काव्य संग्रह की समीक्षा ज्ञानेश्वरी सिंह, यागनी तिवारी एवं विमोचन के अन्तर्गत मनीष पांडेय (नीदरलैंड) द्वारा की गई। जिसका संचालन डॉ.मीनकेतन प्रधान और डॉ.विद्या प्रधान द्वारा किया गया।पुस्तक समीक्षा के उपरांत देश के अलग -अलग राज्यों के विद्वानों, शोधार्थियों द्वारा शोध पत्रों का वाचन भी किया गया जिसमें मुख्य रूप से डॉ. शैली जग्गी, सोनल मावतवाल श्रीवास, डॉ. ज्योति खन्ना, डॉ. अर्चना पांडेय, जानकी साव, अंजनी कुमार, अंजनी कुमार तिवारी ‘सुधाकर’, राजपिन्दर कौर गुंजन, डॉ. लिट्टी योहन्नलाल, यामिनी राठौर, डॉ. विकास कुमार, डॉ. पुष्पा कुमारी, प्रमोद झा, मिन्नी मिश्र, डॉ. नितिन उपाध्ये , डॉ. पूनम बाला, डॉ. विशाखा कुमारी आदि आभासी पटल पर उपस्थित रहे तथा शोध पत्र प्रेषित कर कतिपय शोधार्थियों ने वाचन किया । आयोजन में हरिहर झा(आस्ट्रेलिया) , सरोजनी नौटियाल तथा अन्य विद्वानों की गरिमामयी ऑनलाइन संलग्नता थी। प्रसिद्ध कथाकार नासिरा शर्मा की गौरवमयी उपस्थिति भी आभासी पटल पर रही। शशिभूषण पंडा ओडिशा) की प्रत्यक्ष उपस्थिति रही। तकनीकी संचालन में डॉ.ज्ञानेश्वरी सिंह ,डॉ.सुमित दुबे ,पंकज रथ शर्मा, अमित सदावर्ती की विशेष भूमिका थी ।डॉ. दीपक पांडेय, डॉ. राजेश कुमार दुबे, हरिहर मालाकार, राजेश पटेल, प्रेम सागर , आकाश प्रधान , हरिशंकर गौराहा ,लोचन गुप्ता ,प्रो. आर.के.. पटेल , डॉ.एस.पी.गुप्ता आदि ने आयोजन की सफलता के लिए बधाई दी है ।
डॉ. मीनकेतन प्रधान पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष - हिन्दी, किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रायगढ़ (छ.ग.) भारत
संस्थापक विश्व हिन्दी अधिष्ठान (पंजी. न्यास), कार्यालय - डॉ.मीनकेतन प्रधान ,मकान नंबर -557, स्टेडियम के पास, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, चक्रधर नगर, रायगढ़ (छ.ग.) पिन- 496001, भारतमो. नं. 9424183086, ईमेल आई-डी : mkp1558rgh@gmail.com
चिरंजीव(लिंगम चिरंजीव राव)
म.न.11-1-21/1, कार्जी मार्ग, इच्छापुरम
श्रीकाकुलम (आन्ध्रप्रदेश) पिन 532-312
स्वतंत्र लेखन(संकलन व लेखन)
मों न. 8639945892


छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल अध्यक्ष अनुराग सिंह देव ने ‘आवास मेला 2025’ के लोगो का किया अनावरण
किसान जे.ई. कैंथा ने सहकारी समिति से लिया टोकन
दक्षिण के तीर्थ स्थलों के दर्शन के लिए जगदलपुर से 356 तीर्थयात्रियों का जत्था हुआ रवाना
विद्यार्थियों में वैज्ञानिक और नवाचारी सोच को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध : मुख्यमंत्री डॉ. यादव


