चीन की विस्तारवादी नीति और ताइवान पर उसके हमले की आशंका को देखते हुए दुनियाभर के देशों का उसके प्रति मूड बदलता जा रहा है. ताइवान माइक्रोचिप का बहुत बड़ा खिलाड़ी है, जहां से पूरी दुनिया को चिप सप्लाई की जाती है. ऐसे में ताइवान की सेमीकंडक्टर कंपनियां सुरक्षित निवेश के लिए भारत समेत दूसरे देशों का रुख कर रही हैं. ताइवानी कंपनी Foxconn ने बीते दिनों वेदांता के साथ बात चलाई थी लेकिन बाद में डील टूट गई. अब इस ताइवानी कंपनी के बारे में बड़ी खबर सामने आ रही है, जिसे भारत के लिए बड़ी जीत माना जा सकता है. 

फॉक्सकॉन ने इस कंपनी से मिलाया हाथ 

ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन और फ्रेच-इतालवी कंपनी एसटीमाइक्रो ने मिलकर भारत में 40 नैनोमीटर चिप प्लांट लगाने का फैसला किया है. दोनों कंपनियां मिलकर इसके लिए जल्द ही भारत सरकार को जमीन के लिए अप्लाई कर देंगी. उस प्लांट से बनने वाली चिप को कैमरे, प्रिंटर, कार और दूसरी मशीनों में इस्तेमाल किया जाएगा. 

दुनिया का भविष्य बदल सकता है भारत

फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन यंग लियू का कहना है कि भारत में माइक्रोचिप का किंग बनने की पूरी क्षमता है. अगर भविष्य में दुनिया में कोई बड़ा फेरबदल नहीं हुआ तो भारत दुनिया की नई मैन्यूफैक्चरिंग फैक्ट्री होगा. भारत की इस सफलता में ताइवान भी एक अहम साझेदार की भूमिका निभाएगा. सूत्रों के मुताबिक यह ताइवानी कंपनी भारत सरकार की सेमीकंडक्टर विनिर्माण नीति (PLI स्कीम) के तहत आवेदन कर सकती है. 

चिप के लिए आयात पर निर्भर है भारत 

एक्सपर्टों के मुताबिक सेमीकंडक्टर निर्माण के मामले में ताइवान, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका टॉप 5 देशों में शामिल हैं. जबकि भारत में इसका निर्माण नहीं होता और वह पूरी तरह आयात पर निर्भर है. भारत की कार निर्माता कंपनियां मलेशिया के जरिए इन देशों से माइक्रोचिप का आयात करती हैं. इस स्थिति को बदलने के लिए भारत सरकार ने दिसंबर 2021 में नई सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी घोषित की थी. इस नीति तहत वर्ष 2026 तक देश को सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है.