गृहिणी: वो जिसके ऋणी सभी
सुचिता (सकुनिया) खंडेलवाल बैतूल/कलकत्ता
गृहिणी: वो जिसके ऋणी सभी
गृहिणी, परिवार की वह रीढ़ है, जो नज़र नहीं आती लेकिन हर कदम पर सबको संभालती है। एक दिन के लिए भी अगर वह घर से दूर हो जाए, तो सब कुछ तितर-बितर हो जाता है। यह लेख गृहिणियों की तरफदारी के लिए नहीं, बल्कि समाज के प्रति उनके रवैये और उनकी वास्तविक स्थिति को सामने रखने के लिए है।
समाज की सोच और गृहिणी का आत्मविश्वास
हाल के दिनों में मैंने कई ऑनलाइन सेमिनार और लेख देखे-सुने, जिनमें घरेलू महिलाओं के उत्थान की बात कही जाती है। पर क्या हर बार यह मान लेना सही है कि जो महिलाएं घर के बाहर काम नहीं करतीं या अपनी अलग पहचान नहीं बनातीं, वे कमजोर हैं?
अक्सर मैंने सुना है कि खुद महिलाएं कहती हैं, “अरे, वो क्या बोलेगी? वो तो घर पर ही रहती है। उसे बाहर की दुनिया का क्या पता।”
यह सोच कहीं न कहीं गृहिणियों को कमतर आंकती है।
असलियत यह है कि जो महिला पूरे परिवार की हर छोटी-बड़ी ज़रूरतों का ध्यान रखती है, उसके आत्मविश्वास पर सवाल उठाना ही गलत है। परिवार के हर सदस्य की पसंद-नापसंद, दवाइयों का समय, त्योहारों की तैयारी, रिश्तों की देखभाल—इन सबका प्रबंधन कोई छोटी बात नहीं है। गृहिणी की चुप्पी को उसकी कमजोरी समझना गलत है। अगर कोई महिला घर संभालना चुनती है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह सक्षम नहीं है। यह उसका स्वतंत्र निर्णय है। मैंने कई गृहिणियों को देखा है, जो अपने खाली समय में अपनी कला निखारती हैं। उनकी पेंटिंग्स किसी कलाकार को मात दे सकती हैं, और उनका संगीत सुनकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है।लेकिन उनकी प्राथमिकता उनका परिवार है। वे जानती हैं कि घर में उनकी ज़्यादा ज़रूरत है। यह निर्णय उनकी सशक्तता और समझदारी को दर्शाता है।
गृहिणी को सम्मान की ज़रूरत
अक्सर लोग कहते हैं, “अरे, बाहर काम करोगी तो दुनियादारी समझोगी।” लेकिन जो महिला घर संभालती है, वह दुनियादारी से कहीं ज़्यादा समझदार होती है। उसे अपने परिवार की हर ज़रूरत की गहरी समझ होती है। गृहिणियों को उत्थान की नहीं, सम्मान की ज़रूरत है। वे पहले ही दो-दो परिवारों को संभालकर उनका उत्थान कर चुकी हैं। यह जरूरी है कि उनके योगदान को सराहा जाए और उन्हें कमतर समझने की मानसिकता बदली जाए। मैं खुद ऐसी संस्था, कैफे (Career After Family) से जुड़ी हूं, जो गृहिणियों को अपनी कला और हुनर दिखाने का मंच देती है। यहां गृहिणियों को उनके काम से नहीं, उनकी प्रतिभा से पहचाना जाता है। यह मंच दिखाता है कि वे कमजोर नहीं, बल्कि सशक्त और प्रेरणादायक हैं। गृहिणी घर की शांति, परिवार की बुनियाद और समाज की प्रेरणा है। हमें यह समझना चाहिए कि वे उत्थान से परे हैं। उनके योगदान का सम्मान करें और उनके हर निर्णय को सराहें। "जो गृहिणी परिवार का हर मोड़ संभालती है, उसके लिए समाज का हर सम्मान भी कम है। आइए, उनकी कुर्बानियों को सराहें और उन्हें वह पहचान दें, जिसकी वे अधिकारी हैं।"