राशन डिपो में आपूर्ति किए जाने वाले गोदामों में रखे गेहूं में कर्मचारियों ने एक बार फिर भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया। गेहूं की सुरक्षा में लगाए गए कर्मचारी और अधिकारी ही धांधली करने में लगे हैं। रविवार को यहां फिर ऐसा ही मामला सामने आया है।

हैफेड कार्यालय स्थित गोदाम में रखे एक लाख गेहूं कट्टों के स्टाक को पानी से भिगो डाला। यहां से कितना गेहूं बाहर निकाल दिया गया, यह जांच के बाद ही पता चलेगा। सूचना मिलने के बाद हैफेड के डीएम सुरेश कुमार ने जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है।

परखी (बंद कट्टे से गेहूं निकालने का यंत्र) से गोदाम में रखे गेहूं के कट्टों से पहले तो गेहूं चोरी कर लिया जाता है। इसके बाद चोरी किए गए गेहूं के कट्टों को खुर्द-बुर्द करने के लिए स्टाक में रखे गए गेहूं पर पानी डाल दिया जाता है, गेहूं का वजन ज्यों का त्यों पूरा हो जाए और रिकार्ड में गेहूं पूरा दिखाया जा सके। परखी का काम कट्टों से गेहूं निकाल नमी की मात्रा को जांचने के लिए किया जाता है, गोलमाल करने इसका प्रयोग गेहूं चोरी करने में कर रहे हैं।

इस बार गेहूं सीजन में सरकार की तरफ से खरीद एजेंसियों को निर्देश दिए गए थे कि इस बार गेहूं का स्टाक खुले में न किया जाए। हर साल हजारों क्विंटल गेहूं वर्षा में खराब हो जाता था। अधिकारियों का इस पर जवाब होता था कि गेहूं का स्टाक खुले में रखा है। इस कारण वर्षा में खराब हो गया, जबकि पानी से भिगोने के मामले को भी अधिकारियों की तरफ से दबा दिया जाता था। इस बार गेहूं गोदामों में लगाया हुआ है।

इसके बाद पानी से भिगोने के मामले कम नहीं हो रहे हैं। खरीद एजेंसियों के गेहूं स्टाक करने का कार्य करने वाले कांट्रेक्टर महिपाल ढुल ने बताया कि इस गोलमाल में अकेले कर्मचारी ही नहीं हैं, बल्कि उच्चाधिकारियों तक की मिलीभगत है। हैफेड कार्यालय के एक गोदाम में जब इस तरह का खेल चल रहा है तो दूसरी जगहों पर बनाए गए गोदाम में रखे गेहूं को किस तरह से नष्ट किया जा रहा है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

हैफेड कार्यालय के गोदाम में किए गए स्टाक में गेहूं को भिगोने का मामला उनके संज्ञान में है। मामले में जांच के लिए डीएम को निर्देश जारी किए गए हैं। जांच रिपोर्ट में जिसकी भी लापरवाही सामने आई उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।