खुद को मेडिकल कॉलेज का डीन और प्रिंसिपल बताकर एमबीबीएस में दाखिला कराने के नाम पर ठगी करने वाले एक गैंग का रोहिणी जिला के साइबर थाना पुलिस ने खुलासा किया है। पुलिस ने इस संबंध में गैंग सरगना एमबीबीएस डॉक्टर और उसके दो साथियों को पश्चिम बंगाल और असम से गिरफ्तार किया है। गैंग ने दिल्ली के एक डॉक्टर के बेटे का दाखिला कराने के नाम पर ठगी की थी। आरोपियों की पहचान पश्चिम बंगाल निवासी व गैंग सरगना सुमंत्रा गुप्ता, साथी असीकुर रहमान और धर्मेश कलिता के रूप में हुई है। आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन, 10 सिमकार्ड, दो लैपटॉप, छह एटीएम, तीन चेकबुक, पासबुक के अलावा अन्य सामान बरामद किया है। मुख्य आरोपी एमबीबीएस डॉक्टर है और वह पश्चिम बंगाल में नर्सिंग होम चलाता है। इसके खिलाफ पहले से ठगी के तीन मामले दर्ज हैं। 25 जुलाई को रोहिणी जिला निवासी डॉ. विजय धनकर ने ठगी की एक शिकायत साइबर थाने में दर्ज कराई थी। डॉ. विजय ने बताया कि उनको अपने बेटे का एमबीबीएस में दाखिला कराना था। उनको कहीं से डॉ. आरबी गुप्ता का मोबाइल नंबर मिला। फोन पर उनसे दाखिले के लिए बात हुई तो आरोपी ने खुद को कटिहार मेडिकल कॉलेज का डीन बताकर दाखिले के नाम पर 60 लाख की डिमांड की। वह इसके लिए तैयार हो गए। आरोपी के कहने पर पीड़ित ने 24 जुलाई को 2.50 लाख और 25 जुलाई को पांच लाख रुपये आरोपी के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद आरोपियों ने पीड़िता का मोबाइल उठाना बंद कर दिया। पीड़ित को खुद के साथ ठगी का अहसास हुआ। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की। रोहिणी जिला पुलिस उपायुक्त डॉ. गुर इकबाल सिद्धू ने बताया कि जांच के लिए थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अजय दलाल, एसआई प्रवीन नरवाल व अन्यों की टीम को लगाया गया।

ऐसे पकड़े गए तीनों आरोपी

बैंक खाते की पड़ताल के बाद पुलिस को पता चला कि जिस खाते में रकम गई है, वह असम में किसी असीकुर रहमान नामक व्यक्ति के नाम पर है। जांच के बाद पुलिस ने असीकुर को असम से दबोच लिया। इससे पूछताछ के बाद दूसरे आरोपी धर्मेश को भी असम से गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों से पूछताछ के बाद मुख्य आरोपी की जानकारी जुटाई गई। टेक्निकल सर्विलांस की मदद से पता चला कि मुख्य आरोपी सुमंत्रा गुप्ता पश्चिम बंगाल स्थित अपने घर पर मौजूद है। एक टीम को वहां भेजा गया, लेकिन आरोपी भागने में कामयाब हो गया। खासी मशक्कत के बाद उसे दबोच लिया गया। पूछताछ के दौरान आरोपी ने ठगी में अपना हाथ होने की बात स्वीकार कर ली। पुलिस को मामले में उसकी सहयोगी नगमा खान की तलाश है।

ऐसे की जाती थी

मुख्य आरोपी डॉ. सुमंत्रा गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2005 में उसने अपना एमबीबीएस पूरा किया था। अब वह अपना नर्सिंग होम चला रहा था। नीट के आने से पहले वह नगमा खान नामक महिला के साथ मिलकर कमीशन पर एमबीबीएस में दाखिला करवाते थे, लेकिन बाद में दाखिलों में दिक्कत होने लगी तो उन्होंने सीधे ठगी शुरू कर दी। आरोपी सुमंत्रा खुद को कटिहार मेडिकल कॉलेज का डीन या प्रिंसिपल बताता था। धर्मेश ठगी की रकम के लिए खातों का इंतजाम करता था, जबकि असीकुर रहमान ने 35 हजार रुपये में धर्मेश को अपना खाता उपलब्ध करवाया था।