नई दिल्ली । इसमें कोई दो राय नहीं कि ई-रिक्शे अब दिल्ली में लास्टमाइल कनेक्टिविटी का पर्याय बन चुके हैं और मध्यम वर्ग के ज्यादातर कामकाजी लोग घर से मेट्रो स्टेशन या बस स्टॉप तक आने-जाने के लिए ई-रिक्शों का ही इस्तेमाल करते हैं। इसी के चलते पिछले एक दशक में इनकी डिमांड भी तेजी से बढ़ी, लेकिन अब देखने में आ रहा है कि ज्यादातर ई-रिक्शा चालक नियमों का पालन नहीं कर रहे, जिसकी वजह से यात्रियों की सुरक्षा पर हर वक्त खतरा मंडराता रहता है। हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद ट्रांसपोर्ट विभाग की एनफोर्समेंट विंग की टीमें या ट्रैफिक पुलिस की टीमें इन्हें नियमों के दायरे में चलने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रही हैं। उसी का फायदा उठाकर धड़ल्ले से नियमों को ताक पर रखकर रिक्शे चलाए जा रहे हैं। ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, ई-रिक्शों के लिए भी बाकायदा उसी तरह के नियम बने हुए हैं, जैसे कि अन्य वाहनों के लिए। ई-रिक्शों का न केवल रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है, बल्कि उनके चालक के पास ट्रांसपोर्ट विभाग से जारी किया हुआ ड्राइविंग लाइसेंस और बैज होना भी जरूरी है। इतना ही नहीं, हर रिक्शे की सालाना फिटनेस जांच कराना भी जरूरी है। अगर कोई बिना फिटनेस जांच कराए रिक्शा चला रहा है, तो उसे नियमों के तहत अनरजिस्टर्ड रिक्शा माना जाएगा। ऐसे रिक्शा में सफर करते वक्त अगर किसी सड़क हादसे में किसी सवारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसे इंश्योरेंस क्लेम मिलना भी बहुत मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि बिना फिटनेस कराए रिक्शे का इंश्योरेंस भी नहीं होगा। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर 100 नए ई-रिक्शों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, तो उसमें से 10 रिक्शे भी नियमों के तहत सालाना फिटनेस जांच कराने नहीं आते हैं। इतना ही नहीं, रिक्शे की लाइफ पूरी होने के बाद भी लोग उसे चलाते रहते हैं और उसकी पावर को बढ़ाने के लिए उसमें तय नियमों से ज्यादा पावर वाली बैटरी लगा देते हैं।