चक्रधरपुर मंडल के टाटानगर रेलवे स्टेशन के इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही शुक्रवार को उजागर हुई। लोको पायलट द्वारा पहले दी गई चेतावनी को विभाग ने नजरअंदाज किया, जिसके कारण एक दिन में दूसरी बार ट्रेन बेपटरी हुई और सिक लाइन से यातायात पूरी तरह से ठप हो गया।

रात 11 बजकर 20 मिनट पर टाटानगर से पहली ट्रेन टाटा जम्मू तवी एक्सप्रेस को रवाना किया गया। इसके बाद टाटा-यशवंतपुर व टाटा-थावे एक्सप्रेस को रवाना किया गया।

नौ घंटे पूरी तरह से ठप रहा परिचालन
टाटानगर रेलवे फाटक के सामने स्थित सिक लाइन में कोचिंग ट्रेन का एक डिब्बा पटरी से उतर गया। दुर्घटना के बाद टाटानगर का वाशिंग व शंटिंग लाइन में परिचालन लगभग नौ घंटे पूरी तरह से ठप रहा। हालांकि, रेल अधिकारियों ने बेपटरी ट्रेन को वापस ट्रैक पर शाम लगभग आठ बजे तक ले आए, लेकिन ट्रैक सेफ्टी सर्टिफिकेट नहीं मिलने के कारण तीनों ट्रेनों का परिचालन देर रात तक नहीं हो पाया। 

इसके कारण तीनों ट्रेन के यात्री परेशान रहे। स्टेशन प्रबंधन बार-बार ट्रेन रि-शिड्यूल करती रही, लेकिन रात 11 बजे के बाद भी परिचालन शुरू नहीं हो पाया था। एक दिन में यह दूसरी बार था, जब एक ही स्थान पर ट्रेन बेपटरी हुई थी।

पहली बार बेपटरी ट्रेन के डिब्बे को रेल कर्मचारी किसी तरह से वापस पटरी पर ले आए थे, लेकिन दूसरी बार दुर्घटना बड़ी हो गई। घटना के बाद तीनों ट्रेन के यात्री ठंड के बीच स्टेशन पर परेशान रहे।

इंजन के ड्राइवर ने दी थी जानकारी
टाटानगर लोको यार्ड के सामने अंडर पास के लिए खुदाई का काम चल रहा है। 17 नवंबर को एक लोको इंजन ड्राइवर ने शंटिंग के दौरान विभाग को मेमो (सूचना पत्र) देकर बताया था कि अंडर पास के लिए हो रही खुदाई के कारण नीचे की जमीन की सतह पतली हो गई है।

ऐसे में रेलवे ट्रैक कभी भी धंस सकती है, लेकिन इंजीनियरिंग विभाग ने इस पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया और शंटिंग स्पीड को 10 से घटाकर पांच किलोमीटर प्रति घंटे कर कोरम पूरा कर दिया गया।

यह स्थिति तब है, जब तीन दिन पहले रेल मंत्री और दक्षिण पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक टाटानगर आए थे। यदि उस दौरान दुर्घटना हुई होती, तब क्या होता, यह सवाल सभी के मन में है।