हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन शनि जयंती का पर्व बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता हैं इस बार शनि जयंती 19 मई दिन शुक्रवार यानी आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा हैं इसी दिन वट सावित्री का व्रत भी किया जा रहा हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी पावन दिन पर सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था ऐसे में इसे शनि जन्मोत्सव के तौर पर भी मनाया जाता हैं इस दिन भक्त भगवान शनिदेव की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं माना जाता हैं कि आज के दिन व्रत पूजन करने से शनि प्रसन्न होकर करते हैं शनि जयंती के दिन शनि मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ भी देखने को मिलती हैं।

इस दिन व्रत पूजन के अलावा अगर सच्ची श्रृद्धा और भाव के साथ श्री शनि रक्षा स्तवम् का पाठ किया जाए तो भगवान भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं और सुख समृद्धि व तरक्की का आशीर्वाद देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये पाठ।

श्री शनि रक्षा स्तवम्-

श्री नारद उवाच

ध्यात्वा गणपतिं राजा धर्मराजो युधिष्ठिरः ।
धीरः शनैश्चरस्येमं चकार स्तवमुत्तमम् ॥

विनियोगः

ॐ अस्य श्रीशनिस्तवराजस्य सिन्धुद्वीप ऋषिः । गायत्री छन्दः ।
श्रीशनैश्चर देवता । श्रीशनैश्चरप्रीत्यर्थे पाठे विनियोगः ॥

ऋष्यादिन्यासः

शिरसि सिन्धुद्वीपर्षये नमः । मुखे गायत्रीछन्दसे नमः ।
हृदि श्रीशनैश्चरदेवतायै नमः ।
सर्वाङ्गे श्रीशनैश्चरप्रीत्यर्थे विनियोगाय नमः ॥

स्तवः

शिरो मे भास्करिः पातु भालं छायासुतोऽवतु ।
कोटराक्षो दृशौ पातु शिखिकण्ठनिभः श्रुती ॥
घ्राणं मे भीषणः पातु मुखं बलिमुखोऽवतु ।
स्कन्धौ संवर्तकः पातु भुजो मे भयदोऽवतु ॥
सौरिर्मे हृदयं पातु नाभिं शनैश्चरोऽवतु ।
ग्रहराजः कटिं पातु सर्वतो रविनन्दनः ॥
पादौ मन्दगतिः पातु कृष्णः पात्वखिलं वपुः ॥

फलश्रुतिः

रक्षामेतां पठेन्नित्यं सौरेर्नामाबलैर्युतम् ।
सुखी पुत्री चिरायुश्च स भवेन्नात्र संशयः ॥

इति श्री शनि रक्षा स्तवः ॥