देश के रहनुमाओं 
मुझको भी तुम आज आजाद कर दो।

कब तक इस तरह 
मेरी आजादी को तडपता
देखना चाहते हो
कब तक इस तरह
बेगुनाहों को मरता हुआ
देखना चाहते हो 
कब तक इस तरह
करोडो औलादो वाली 
माँ को, बिखरता
देखना चाहते हो
देश के रहनुमाओ 
मुझको भी तुम आज आजाद कर दो।

रोज नये जख्म 
करते कुछ इस तरह
लगते तुम तैयार हो
हिंदू,मुस्लीम,सिख्ख ,ईसाई
जो मेरे ही अंदर रहते है
मेरे ही शरीर के अंग है
दफन कर लो इन 
गलत आचार–विचारो को
उनका ही तुम व्यापर करते हो
इतनी दौलत बरबाद करते हो
अपने ही देश को नाशाद करते हो 
लाशो पर मैं उनके कफन
ऐसे, अब देख नहीं सकता
अब तक जो सो रहे थे
कुभकर्ण की नींद उनको 
जागने मत देना 
देश के रहनुमाओं
मुझको भी तुम आज आजाद कर दो।

अगर वो जाग गए,
तुम्हारी हर साजीश कर देगे
वो नाकाम, सोच लेना
अब तक जिस तरह खुद को
बचाकर चल रहे हो इस देश में
इसके भविष्य में भी मान रख लेना
देश के रहनुमाओं 
मुझको भी तुम आज आजाद कर दो।

सोचना तुम ये बैठकर
वक्त पर नहीं संभलोगें तो
हो जाओ तैयार मिटने के लिए
अगर तैयार हो मिटने के लिए
तो खुशी के दिनों में रह कर ही
उसका फिर मातम भी मना लेना
देश के रहनुमाओं 
मुझको भी तुम आज आजाद कर दो।

हमेशा यह देखने को मिला है
क्यों की हठ, अहम. अहंकार को
कभी वक्त नहीं मिलता इसका 
देश तुझको संभालने का 
समय देता रहेगा पर बता
फिर देश कब संभलेगा 
देश के रहनुमाओं 
मुझको भी तुम आज आजाद कर दो।

आज अगर तुमने देश को 
अपना नहीं समझा
तो देश की गलती कहाँ जो 
तुमको अपना समझे
ये एक हिदायत ही तो है
रावण की तरह मानना न मानना 
उसकी इच्छा, अन्त वो जानता है ।
देश के रहनुमाओं 
मुझको भी तुम आज आजाद कर दो।

आज धरती पर अगली पीढी
कर रही इन्तजार है
नये पौधे नये जीवन का समय
आसन्न हुआ लगता है ।
देश के रहनुमाओं 
मुझको भी तुम आज आजाद कर दो।

प्रेषक..लिंगम चिरंजीव राव