सृजन-संस्था ,विशाखापत्तनम-शहर,(आंध्रप्रदेश)
विशाखापत्तनम-  22 वर्ष की लंबी यात्रा के बाद आज संस्था ने 23वें वर्ष को नमन करते हुए.. इस वर्ष के प्रथम आनलाईन आयोजन मे हिंदीत्तर राज्यों ने इस लंबी साहित्यिक यात्रा का आगाज किया। इस संस्था के सभी आधार स्तंभ साहित्यकारों ने जिन्होंने इस संस्था की नींव रखी थी।जिनमें आदरणीय श्री नीरव वर्मा, डा.टी.महादेव राव और श्रीमती सीमा वर्मा ,संतोष जी आदि का ऐसा सुंदर योगदान सराहनीय ही नहीं वरन अतुलनीय है। इनमें संतोष जी को छोडकर सभी उपस्थिति रहे उसके शुरूआत से आज तक इस संस्था को केवल और केवल सभी साहित्यिक गतिविधियों के अनुकूल रखने मे सहयोगी रहे।आज कार्यक्रम को आरंभ करते हुए आदरणीय महादेव जी ने आगे के लिए साहित्यिक गतिविधियों से सभी को जुडे रहने का व अन्य आवश्यक बातों को अपने  व्यक्तव्य मे जोड कर शुभकामना दी। पश्चात सीमा वर्मा जी व्दारा इसके शुरुआत के उन पलों की चर्चा के साथ आज के इस आयोजन के संचालन के लिए नीरव फिर इसके विकास-यात्रा का संक्षिप्त परिचय के साथ क्रमवार इस संस्था के विकास के दौरान उपलब्धियों से परिचय कराते हुए हर अंतराल मे संस्था के विकास यात्रा के अनुभव व अनेक पडावों को नीरव जी बताते रहे जो इस यात्रा के नये साहित्यकारों के लिए बहुत ही उपयोगी रहा और इस संस्था की जानकारी भी मिलती रही।आज उपस्थित सभी साहित्यकारो को उनके काव्य पाठ के लिए आमंत्रित करते हुए सर्वप्रथम श्री जयप्रकाश जी की  "यात्रा" रचना ने शहर और गाँव के माध्यम से इस पीढी के दर्द को उकेर;

लिंगम चिरंजीव राव जी ने अपनी परंपरागत शैली मुक्तक व कुछ समसामयिक शेर प्रस्तुत किए;श्रीमती डा.अनीता जो अपनी रचना "प्रकृति" पर्यावरण  समर्पित रचना पाठ किया ;  डा.मधुबाला  जी"उम्रदराज" नामक शीर्षक के साथ इस उम्र की हर बात , के साथ जीवनशैली को रखते हुए अच्छी रचना पढी;सीमा वर्मा जी की रचना "बतकही" एक गहरी वेदना होने और न होने के बीच दंव्द को उकेरती रचना से परिचय कराया , जीवनमूल्यों को शहरी और ग्रामीण ;मीना गुप्ता जी ने "यादें" स्वेटर को प्रतीक बना उधडने और फिर बुननें की बीच की मनोस्थिति का सुंदर चित्रण; पारस यादव जी समय पर पहुंच सके इस बात को बताते हुए "सृजन"की यात्रा को समर्पित एक छोटी व सुंदर रचना का पाठ किया;निशीकांत जी ने आज 2020 की यादों को ताजा करते हुए पत्रिका "अभिव्यक्ति" और सृजन संस्था पर अपनी बात रखी; रामप्रसाद जी की गंभीर रचना शीर्षक "रंगरेज" के माध्यम से जीवन की सार्थकता को दर्शाती रचना का पाठ किया वरिष्ठ रचनाकार की रचनाओं मे जीवनदर्शन का बहुत ही गंभीर पुट मिलता है;डा.टी महादेव राव जी ने अपने सृजन के संस्मरण बताते हुए "मोमबत्ती"नामक शीर्षक जो आज के समाजिक परिस्थितियों के ऊपर सुंदर रचना पढी अब समय के साथ इस आयोजन के संचालक महोदय नीरव वर्मा जी को आमंत्रित करने की औपचारिकता श्री महादेव राव जी ने पूरी की उनकी रचना "कहा जा रहा हूँ मैं" अत्यंत ही मार्मिकता लिए पंक्तियों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस तरह इस आयोजन का समापन बधाई आदि के साथ आगे के कार्यक्रमों की रुपरेखा और अनेक प्रस्तावों को छोटा सा स्वभाविक दौर चला.. निर्णय से समय पर अवगत किया जाऐगा अध्यक्ष और सचिव के आश्वासन के साथ समाप्ती की घोषणा की गई। 

चिरंजीव