कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उनका सवाल है कि क्या वे युद्ध क्षेत्र में रूसी सेना के लिए लड़ रहे भारतीय नागरिकों के सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने पूछा कि क्या वे अपनी यात्रा में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस में आयोजित होने वाले 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए जा रहे हैं। मंगलवार को पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व्यापार, ऊर्जा और रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाने के तरीकों पर विचार करेंगे। बता दें कि यह 2019 के बाद से रूस की उनकी पहली यात्रा है। वहीं फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से उनकी पहली यात्रा है। कांग्रेस महासचिव, प्रभारी संचार, जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री के लिए कई सवाल पूछे। इस पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "भारत को दशकों से विभिन्न कांग्रेस सरकारों की कूटनीति और रणनीतिक पहलों के कारण पहले यूएसएसआर और बाद में रूस के साथ एक समृद्ध संबंध विरासत में मिला। प्रधानमंत्री के रूप में अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में डॉ. मनमोहन सिंह ने व्लादिमीर पुतिन और दिमित्री मेदवेदेव से भारत या रूस में कुल 16 बार मुलाकात की। उन्होंने कहा कि तुलना करें तो यह पीएम मोदी की राष्ट्रपति पुतिन के साथ 10 साल के कार्यकाल के बाद केवल 11वीं मुलाकात है। जयराम रमेश ने सवाल किया "उनके प्रचारक रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, क्या पीएम मोदी के शासन में दोनों देशों के बीच संबंध कुछ हद तक ठंडे हुए हैं?" उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2023 के बीच रूस को भारत का निर्यात स्थिर रहा। यह निर्यात 3.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर से गिरकर 3.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। हालांकि आयात बिल में तेजी से वृद्धि हुई। यह 6.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 46.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। जयराम रमेश ने कहा कि इस तरह का असंतुलित व्यापार संबंध लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है, और हमारे घरेलू उद्योग के लिए इसके हानिकारक परिणाम हैं। कांग्रेस नेता ने सवाल किया, "क्या राष्ट्रपति पुतिन के साथ गैर-जैविक प्रधानमंत्री की वार्ता के एजेंडे में इस व्यापार असंतुलन को सुधारना शामिल है? दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन को बेहतर बनाने के लिए उनका क्या दृष्टिकोण है?" उन्होंने कहा कि मॉस्को में भारतीय दूतावास के अनुसार, कम से कम 50 भारतीय नागरिक रूसी सेना में शामिल हुए हैं।  जयराम रमेश ने कहा कि युद्ध में कम से कम दो व्यक्तियों की मृत्यु की पुष्टि पहले ही हो चुकी है। उन्होंने कहा, "कई अन्य लोगों को एक ऐसे युद्ध में 'धोखा' दिया गया है, जिसमें उनका कोई हित नहीं है। सिवाय गरीबी और बेरोजगारी के संकट से बचने के, जिसे गैर-जैविक प्रधानमंत्री ने घरेलू स्तर पर बनाए रखा है। क्या गैर-जैविक प्रधानमंत्री इन युवाओं के हित में काम करेंगे? क्या वे जल्द से जल्द उनकी सुरक्षित भारत वापसी सुनिश्चित करेंगे?