नई दिल्ली । कांग्रेस और राकांपा ने पीएम मोदी के उस बयान को आड़े हाथ लिया है जिसमें पीएम मोदी ने देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की बात कही थी। दोनों ही पार्टियों ने पीएम मोदी के इस बयान को जल्दबाजी में दिया गया और राजनीति से प्रेरित बयान बताया है। 
छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता टी इस सिंघदेव ने कहा कि प्रधानमंत्री का बयान एक राजनीतिक बयान है। यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब विपक्ष एकजुट होकर 2024 के चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह भावनात्मक राजनीति का हिस्सा है। देश में विभिन्न सामाजिक और धार्मिक समूहों हैं। सब की राय से ही आगे फैसला हो सकता है। 
सिंघदेव मानते हैं कि ये मुद्दा बेहद संवेदनशील है, ऐसे में सरकार को राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम नागरिकों से बात करनी होगी, उनको विश्वास में लेकर आगे बढ़ना होगा। 
उधर, इस मुद्दे पर दिल्ली में शरद पवार की अध्यक्षता में हुई राकांपा के पदाधिकारियों की एक अहम बैठक में एक राकांपा नेता ने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की। सूत्रों के मुताबिक शरद पवार ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड पर सरकार ने अभी तक कोई ड्राफ्ट सार्वजनिक नहीं किया है। और न ही ये बताया है कि वो इस मुद्दे आगे क्या पहल करने वाली है। ऐसे में पार्टी को फिलहाल इस पर कोई स्टैंड लेने की जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए।
राकांपा की बैठक के बाद पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अलग-अलग तरह की बातें की जा रही है। एक बात निश्चित है कि जिस जल्दबाजी में 9।5 साल के बाद अचानक सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लाने के बारे में चर्चा की है।यह एक राजनीतिक दांव है। यह चुनाव को मद्देनजर रखते हुए लाया जा रहा है।
प्रफुल पटेल ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड केवल एक वर्ग या समुदाय के लिए है। एनसीपी ऐसा नहीं मानती है। उन्होंने कहा कि देश में अलग-अलग समुदाय हैं, उनके अपने व्यक्तिगत धर्म के आधार पर सामाजिक कानून बने हुए हैं। इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड पर  पहले एक व्यापक चर्चा की जरूरत है। 140 करोड़ वाले देश में सबको साथ लेकर चलना होगा। हमको सबको साथ लेकर ही आगे बढ़ना।
प्रफुल पटेल ने साफ़ किया कि अभी राकांपा ने यूनिफार्म सिविल कोड का ना ही विरोध किया है और नहीं सपोर्ट किया है। उन्होंने कहा कि हमने यह कहा है कि जल्दबाजी में इतना बड़ा कदम कैसे उठा सकते हैं। सरकार को बताना चाहिए 9।5 साल तक क्यों इसको आगे नहीं बढ़ाया गया? साथ ही इस पर थोड़ा वक्त देना चाहिए, चर्चा भी होनी चाहिए। जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं होना चाहिए, यह हमारा मानना है।