अंबाला। जगाधरी वर्कशॉप में स्क्रैप घोटाले (Scrap scam in Jagadhri workshop) में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 9 रेल अफसरों और 3 प्राइवेट कंपनियों के प्रतिनिधियों पर भ्रष्टाचार सहित साजिश रच घोटाला करने का मुकदमा दर्ज किया है। विजिलेंस की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं सीबीआई उसी को आगे बढ़ा रही है। सुबूतों को एकत्रित करने के बाद आरोपियों की धरपकड़ होगी। जानकारी के मुताबिक सीबीआई यह भी जांच कर रही है कि यह खेल जगाधरी वर्कशॉप के अलावा देश भर की अन्य वर्कशॉप में तो नहीं चल रहा था। जांच पूरी होने के बाद ही इस पूरे खेल का पर्दाफाश होगा।

धर्मकांटे में चिप लगाकर कौड़ियों के भाव बेचते थे स्क्रैप

रेलवे के धर्मकांटे में चिप लगाकर कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए कौड़ियों के भाव स्क्रैप बेच दिया जाता था। रेलवे के कांटे पर रेल संपत्ति तुलाई में कम दिखाता था जबकि यही माल अधिक लोड हुआ होता था। उत्तर रेलवे की विजिलेंस ने ऐसे ही ट्रकों को पकड़ा, जिनमें स्क्रैप की तुलाई कम दिखा रखी थी जबकि ट्रक में माल ज्यादा लोड हुआ पड़ा था। विजिलेंस ने बाहर से भी धर्मकांटे पर तुलाई करवाई और दोनों में काफी अंतर पाया गया। यह मामला दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक ने शोभन चौधरी ने मामले को सीबीआई से जांच करवाने की सिफारिश कर दी।

सीबीआई ने इन बड़े अफसरों पर कसा शिकंजा

सीबीआई ने जिन अफसरों पर मुकदमा दर्ज किया है उनमें सीडीएमएस रैंक के अधिकारी शामिल हैं। इनमें अमृतपाल सिंह चीफ डिपो मेटीरियल सुपरवाइजर (सीडीएमएस) प्लानिंग जगाधरी वर्कशॉप, जसमिंदर पाल सिंह एएसआई आरपीएफ, मेघराज सिंह सीडीएमएस सेल्स शामिल हैं। सीबीआई ने मोहन लाल सीडीएमएस डिलीवर टीम मेंबर नोटिफाइड, गुरमीत सिंह सीडीएमएस/एडीसी इंचार्ज, रमेश चंद्र सीडीएमएस/ एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल (एडीसी), विनोद कुमार आफिसर सुपरिंटेंडेंट सेल्स, गुरमीत गुलाटी सीनियर स्टाक वेरिफिकेशन, अरविंद कुमार एएसआई आरपीएफ, चंद्र शेखर प्रतिनिधि मैसर्ज केसी एंड संस, रमेश कुमार प्रतिनिधि विशाल ट्रेडर्स, मनदीप एनुअल मेंटीनेंस कांट्रेक्टर (एएमसी) पर भी मुकदमा दर्ज किया है

इस तरह होता था घोटाले को 'खेल'

उत्तर रेलवे के जगाधरी वर्कशॉप में स्क्रैप घोटाला सामने आया था। विजिलेंस ने तीन ट्रकों को पकड़ा, जिनमें नीलाम किए गए स्क्रैप के वजन अधिक था। विजिलेंस ने रेलवे के और बाहर कांटे पर वजन कराया तो इसमें काफी अंतर आया। जगाधरी वर्कशॉप के अधिकारी अपने कांटे को ठीक होने का दावा करते रहे, जबकि बाद में जांच हुई तो पता चला कि कांटे में ही चिप लगी थी। इस चिप के माध्यम से रेलवे का माल ट्रकों में अधिक लोड करके भेजा जाता था और नीलामी का पैसा खजाने में कम आता था।