दृष्टिबाधित बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर बनाया जा सकता है सफल....
दिल्ली में दृष्टिबाधित छात्रों के विकास के लिए चल रहे अंध विद्यालय में पर्याप्त सुविधाएं नहीं है। इनके अभाव में छात्राें का कौशल विकास और शिक्षा का स्तर मानक तक नहीं पहुंच पाता। ऐसे विशेष बच्चों के विकास के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 54 तरीके के उपकरण (सहायक प्रौद्योगिकी) के इस्तेमाल का मापदंड तय किया है। इन उपकरणों में ब्रेल, स्टाइलस, अबेकस, स्लेट फ्रेम, लंबी छड़ी, बात करने वाली घड़ी सहित अन्य उपकरण शामिल हैं। एम्स ने दिल्ली में चल रहे अंध विद्यालय में मिल रही सुविधा के लिए एक अध्ययन किया। दिल्ली के शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त एनजीओ की मदद से चल रहे 24 स्कूलों को इस अध्ययन के लिए चुना गया, जिनमें से दो स्कूल ने अध्ययन का हिस्सा बनने से मना कर दिया। अध्ययन में शामिल हुए स्कूलों में 80 से 150 बच्चे पढ़ते हैं। यह अध्ययन साल 2018 में शुरू किया गया। अध्ययन को सात डोमिन में बाटा गया। इसमें लेखन, पढ़ने, गणित, विज्ञान, खेल, गतिशीलता और दैनिक जीवन शामिल हैं। अध्ययन का उद्देश्य स्कूलों में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए उपकरण और प्रशिक्षकों की उपलब्धता का आकलन करना था।
स्कूलों में नहीं हैं पर्याप्त ट्रेनर
अध्ययन में शामिल हुए दिल्ली के 22 स्पेशल स्कूल में दृष्टिबाधित बच्चों को सीखने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षक नहीं हैं। इन स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए 75 सीटों पर केवल 63 स्पेशल एजुकेटर मौजूद पाए गए। लिखने का कौशल सीखने के लिए 74 सीटों पर 64 स्पेशल एजुकेटर, इन स्कूलों में केवल 11 मोबिलिटी ट्रेनर पाए गए। केवल 50 फीसदी ही पद भरे पाए गए। इसमें गणित के लिए 25 और विज्ञान के लिए 18 स्पेशल एजुकेटर पाए गए।
शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
एम्स दृष्टिबाधित छात्रों के विकास के लिए दिल्ली के स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट चलाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत स्कूल में पढ़ने वाले दृष्टिबाधित छात्रों को सभी 52 सहायक तकनीक उपलब्ध करवाए जाएंगे। साथ ही देखा जाएगा कि इनकी मदद से बच्चों में सीखने, उनके कौशल व अन्य में किस तरह का सुधार आता है।
दृष्टिबाधित बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर बनाया जा सकता है सफल
प्रत्येक स्कूल के प्रधानाध्यापक से एक प्रश्नावली का उपयोग करके लेखन, पढ़ने, गणित, विज्ञान, खेल, गतिशीलता और दैनिक जीवन में विभाजित 52 एटी की उपलब्धता के बारे में पूछा गया था। इस अध्ययन में पाया गया कि 90 फीसदी स्कूलों में स्टाइलस और अबेकस के साथ ब्रेल स्लेट उपलब्ध हैं।