सियासी जरूरत के हिसाब से दांव खेल रही बीजेपी
शिंदे गुट के साथ पूरी चतुराई से खेल रही सियासी खेल
मुंबई। कहते हैं कि राजनीति में अवसर का बड़ा रोल होता है और भाजपा इस कहावत को अक्सर चरितार्थ कर लेती है. यही वजह है कि बीजेपी के पास 105 विधायक होने के बावजूद शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे को सीएम बना दिया गया. बीजेपी उस समय हर हाल में महाराष्ट्र में सरकार बनाना चाहती थी. इस कड़ी में उद्धव की शिवसेना को दरकिनार कर बीजेपी एकनाथ शिंदे की ताजपोशी का मन बना चुकी थी. लेकिन अब बीजेपी का मिशन लोकसभा चुनाव में 45 सीटें जीतने का है. इस मिशन में शिंदे और उनकी टीम बेअसर दिख रही है. इसलिए बीजेपी ने दूसरे मराठा नेता अजित पवार का चुनाव कर लिया है जो एकनाथ शिंदे की तुलना में बीजेपी के लिए कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है. वैसे भी राज्य में सरकार बचाने के लिए बीजेपी को 145 विधायकों की जरूरत है. ये जरूरत अजित पवार गुट के 42 विधायकों के दावों के बाद पूरी हो जाती है. बीजेपी के अपने 105 विधायक हैं और अजित पवार 42 विधायकों का दावा कर रहे हैं. जाहिर है सरकार चलाने के लिए शिंदे गुट के 40 विधायकों पर निर्भरता रह नहीं गई है. यही वजह है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व शिंदे गुट की मांग को खारिज कर रहा है. दरअसल महाराष्ट्र में बीजेपी की नजर में अजित पवार की महत्ता कहीं ज्यादा है जो राज्य में सरकार चलाने से लेकर मिशन 45 के लक्ष्य को आसानी से पूरा करने में मददगार हो सकते हैं. इसलिए अजित पवार गुट के 9 विधायकों को मनचाहा विभाग सौंप दिया गया और शिंदे गुट को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. शिंदे गुट की प्रासंगिकता अब एक बड़ा सवाल है, इसलिए बीजेपी सियासी जरूरत के हिसाब से दांव खेल रही है. चूँकि अजित पवार 11 लोकसभा सीटों पर बीजेपी की नजरों में अहम हैं. वहीं शरद पवार की राजनीति को चुनौती देने का असली माद्दा बीजेपी अजित पवार में ही देख रही है. इसलिए बीजेपी अजित पवार गुट को वित्त मंत्रालय और योजना विभाग, कृषि ,चिकित्सा शिक्षा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, खेल, महिला और बाल विकास सहित राहत, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन विभाग देकर गठबंधन में जरूरत के हिसाब से काम कर रही है. ऐसे में शिंदे कैंप के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं दिख रहा है. वैसे भी उद्धव ठाकरे से अलग होने की वजहों में एक वजह अजित पवार को शिंदे कैंप बता चुका है. अजित पवार पर शिवसेना के विधायकों को फंड्स नहीं देने का आरोप शिंदे कैंप द्वारा मढ़ा गया था. लेकिन इस बार फिर बीजेपी द्वारा अजित पवार को वित्त और योजना विभाग सौंप कर शिंदे कैंप की नींद उड़ा दी है. बहरहाल एकनाथ शिंदे की मुश्किलें सरकार और पार्टी दोनों में कई गुणा ज्यादा बढ़ती दिखाई पड़ रही है. पिछले एक साल से शिंदे कैंप के 30 विधायकों का मंत्री बनने का सपना धरा का धरा ही रह गया है. जाहिर है शिंदे कैंप के विधायक अपनी बारी के इंतजार में हाथ मलते रह गए, वहीं बीजेपी अजित पवार गुट को अहम विभाग देकर शिंदे गुट के साथ सियासी खेल पूरी चतुराई से खेल रही है.