छगन भुजबल समेत आठ मंत्री भी ‎नियुक्त, शरद पवार को नहीं लगी कानोकान भनक


मुंबई । महाराष्‍ट्र की राजनीति में रविवार को एक नया मोड़ उस समय आ गया जब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अ‎जित पवार राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) छोड़कर अपने समर्थकों के साथ शिव सेना-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल हो गए। उन्‍होंने दोपहर बाद उपमुख्‍यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। गौरतलब है ‎कि इससे पहले अ‎जित पवार ने आज सुबह तीन दर्जन से अधिक अपने समर्थक राकांपा विधायकों की बैठक बुलाई थी। बैठक में राजनीतिक भविष्‍य की रूपरेखा पर चर्चा की गई। बैठक के तुरंत बाद ही पवार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को समर्थन पत्र सौंपने के लिए राज्यपाल रमेश बैस से मिलने के लिए राजभवन पहुंचे। इस के कुछ ही देर बाद उन्‍होंने मौजूदा विधानसभा के कार्यकाल में तीसरी बार उपमुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली। ले‎किन इस बात की एनसीपी प्रमुख शरद पवार को कानोंकान भनक तक नहीं लगी। वह अभी भी अ‎जित पवार की ‎ ‎विधायकों के साथ बैठक से अपने आप को नावा‎किफ बता रहे हैं। 

सुबह हुई बैठक, दोपहर में ली शपथ
जानकार बता रहे हैं ‎कि महाराष्ट्र में बड़ा सियासी भूकंप अचानक ही देखने को मिला है, जहां अजित पवार ने शिंदे-बीजेपी सरकार में शामिल होने के बाद डेप्युटी सीएम पद की शपथ ले ली है। यह सब कुछ इतनी तेजी से हुआ, ‎जिसकी ‎किसी को कानोकान खबर नहीं थी। हालां‎कि इसको लेकर माना जा रहा है कि यह अजित पवार की बड़ी प्लानिंग का हिस्सा था। बीते कई दिनों से अजित पवार समेत एनसीपी विधायकों का एक बड़ा धड़ा शरद पवार से नाराज चल रहा था। इसके चलते महाराष्ट्र की सियासत में सुपर संडे के दिन अजित ने विधायकों की अपने घर पर बैठक बुलाई थी। इसके बाद 53 में से 30 विधायकों का बड़ा समर्थन रखने वाले अजित राजभवन पहुंच गए। इसके साथ ही सीएम शिंदे और देवेंद्र फडणवीस भी राजभवन पहुंचे और फिर 9 मंत्रियों समेत अजित पवार ने डेप्युटी सीएम पद की शपथ ले ली।

अ‎जित पवार के पास तीस ‎विधायक
जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के नए डेप्युटी सीएम बने अजित पवार के पास तकरीबन 30 विधायकों के समर्थन का दावा किया जा रहा है। इसमें हैरत की बात यह है कि शरद पवार के बेहद करीबी कहे जाने वाले प्रफुल पटेल, दिलीप वलसे पाटिल, छगन भुजबल भी राजभवन में अजित पवार के साथ पहुंचे हुए हैं। कहा जा रहा है कि जिस तरह से शिवसेना में एकनाथ शिंदे ने अपना दावा ठोंका था। उसी तरह से अजित भी एनसीपी पर अपना दावा ठोंक सकते हैं। क्योंकि 53 विधायकों वाली एनसीपी के तीन सांसद भी अजित पवार का समर्थन कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में एक बार फिर सरकार और पार्टी तोड़ो पार्ट-2 देखने को मिलेगा। 

शरद पवार को लगा तगड़ा झटका
अजित पवार के शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद अब एनसीपी प्रमुख रहे शरद पवार को तगड़ा झटका लगा है। क्योंकि इस वाकये के बाद से शरद पवार की राजनीति अवसाद में चली जाएगी, जिससे उबर पाना उनके लिए इतना आसान नहीं होगा। बता दें ‎कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी में अनदेखी बगावत की बड़ी वजह बीते दिनों पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद से शुरू हुए नाटक को बताया जा रहा है। इसके बाद जिस तरह से प्रफुल्ल पटेल और बेटी सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, उससे पार्टी का एक बड़ा धड़ा नाराज चल रहा था। हालां‎कि  अजित पवार के एनसीपी विधायकों की बैठक बुलाने पर शरद पवार सफाई देते नजर आए। पवार ने कहा कि मुझे ठीक से नहीं पता कि यह बैठक क्यों बुलाई गई है? लेकिन विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है। वह ऐसा नियमित रूप से करते हैं। मुझे इस बैठक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।