रांची जिला प्रशासन ने सीआरपीएफ के वरिष्ठ कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ कर्मियों पर दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप लगे हैं। एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि प्राथमिकी रविवार को रांची के गोंडा थाने में दर्ज की गई।

रांची के सर्किल ऑफिसर मुंशी राम ने बताया, हमने रविवार को मुख्यमंत्री आवास के आसपास धारा 144 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए सीआरपीएफ के महानिरीक्षक, कमांडेंट और अन्य कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। राम ने कहा कि निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ताओं और भीम आर्मी समर्थकों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है।

एफआईआर के संबंध में सीआरपीएफ अधिकारियों की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई है। गोंडा थाना प्रभारी रवि ठाकुर ने कहा कि सीआरपीएफ कर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 353 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह धारा किसी लोक सेवक को कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमले या आपराधिक बल से संबंधित है।

ईडी के अधिकारियों ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बीते शनिवार को सीएम सोरेन से पूछताछ की थी। सीएम सोरेन से ईडी की पूछताछ से पहले से रांची जिला प्रशासन ने उनके आधिकारिक आवास के पास धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाई थी। इसके तहत किसी भी प्रदर्शन, हथियार ले जाने और जनसभा पर रोक थी।

झामुमो कार्यकर्ताओं को उकसाने की कोशिश करने का आरोप

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने रविवार को आरोप लगाया था कि सीआरपीएफ कर्मी पूछताछ के दौरान बिना किसी अनुमति के मुख्यमंत्री आवास में घुसने की कोशिश कर रहे थे। झामुमो ने दावा किया था कि उनका मकसद आंदोलनकारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को उकसाना था, ताकि वे सीआरपीएफ जवानों पर हमला करें और फिर राज्य सरकार पर संवैधानिक विफलता का आरोप लगाकर राष्ट्रपति शासन लगाने का आधार तैयार किया जा सके। इस बीच, विपक्षी भाजपा ने आरोप लगाया कि निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद हजारों झामुमो कार्यकर्ता ईडी अधिकारियों को धमकाने के लिए सीएम आवास के पास जमा हो गए थे।