परमेश्वर राव, प्रधान संपादक  

 भोपाल ।    अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की रणनीति साल 1989 में तैयार की गई थी। जिसके तहत अयोध्या में प्रतिकात्मक कार सेवा करना थी। वहीं भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार थी , उसी दौर में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकाली थी।  इसी दौर में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन चरम पर था और हर ग्राम शहर में श्रीराम जन्मभूमि के लिए श्रीराम शीला का पूजन किया गया था। हर घर से पूजित श्रीराम शीलाओं को श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर भेजा गया था। जिसके लिए व्यवस्थाएं शुरू हो चुकी थीं। मंदिर का मॉडल और भव्य स्वरूप के लिए शुरू हुआ था निर्माण कार्य  जब श्रीराम शीला पूजन कार्य चल रहा था उस दौरान श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन समिति द्वारा श्रीराम मंदिर का मॉडल प्रस्तुत किया गया था। इधर शीलाओं का पूजन हो रहा था और उधर श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का काम शुरू हो चुका था। इसी दौरान लालकृष्ण आडवाणीजी की रथयात्रा का जगह-जगह स्वागत हो रहा था। मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में भाजपा की सरकार थी। लेकिन उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायमसिंह यादव की सरकार थी। मुलायमसिंह ने रथयात्रा को अयोध्या में प्रवेश पर रोक लगाई थी और अयोध्या में किसी भी प्रकार की कारसेवा का विरोध किया था।

श्रीराम रथ यात्रा एक राजनीतिक और धार्मिक रैली थी, जो सितंबर से अक्टूबर 1990 तक चली थी। इसका आयोजन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके हिंदू राष्ट्रवादी सहयोगियों द्वारा किया गया था। इसका नेतृत्व भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने किया था। यात्रा का उद्देश्य विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और संघ परिवार में उसके सहयोगियों के नेतृत्व में आंदोलन का समर्थन करना था, ताकि बाबरी गुबंद की जगह पर श्रीरामजी का मंदिर बनाया जा सके। बाबरी मस्जिद, 1528 में इस क्षेत्र की मुगल विजय के बाद अयोध्या शहर में बनाई गई थी। यह राम जन्मभूमि पर मंदिर के ऊपर बनाया गया था, और उनके जन्म स्थल पर खड़ा था। 1980 के दशक में, विहिप और संघ परिवार के अन्य सहयोगियों ने इस स्थल पर राम का मंदिर बनाने के लिए एक आंदोलन शुरू किया, जिसमें भाजपा ने आंदोलन को राजनीतिक समर्थन दिया। 1990 में, वीपी सिंह के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने मंडल आयोग की कुछ सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया और घोषणा की कि सत्ताईस प्रतिशत सरकारी नौकरियों को निचली जाति की पृष्ठभूमि के लोगों के लिए आरक्षित किया जाएगा। इस  श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए, भाजपा ने पूरे देश में अयोध्या तक रथ यात्रा की घोषणा की। रथ यात्रा का नेतृत्व लालकृष्ण आडवाणी ने किया था, और इसमें संघ परिवार के हजारों स्वयंसेवक शामिल थे। सैकड़ों गांवों और शहरों से होकर गुजरी यात्रा 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ में शुरू हुई। इसने प्रतिदिन लगभग 300 किलोमीटर की यात्रा की और आडवाणी अक्सर एक ही दिन में छह जनसभाओं को संबोधित करते थे। इस यात्रा के संयोजक वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे, जिन्होंने हिंदुओं में धार्मिक भावनाओं को उभारा, और यह भारत के सबसे बड़े जन आंदोलनों में से एक बन गया।  रथ यात्रा के दौरान लालकृष्ण आडवाणी को बिहार सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि यात्रा बिहार राज्य से गुजरना थी। यात्रा को समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी और  150,000 कारसेवकों को उत्तर प्रदेश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था। फिर भी हजारों कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचे और बाबरी गुबंद पर भगवा लहरा दिया था।  जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा बलों ने निहत्थे कारसेवकों पर गोली