भोपाल । आम आदमी पार्टी ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। आप पार्टी ने भोपाल के गोविंदपुरा और हुजूर सहित दस विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों की घोषणा की है।  आप द्वारा जारी की सूची के अनुसार विधानसभा क्षेत्र सेंधवा के लिए संजय दुबे, गोविंदपुरा में सज्जन सिंह परमार, हुजूर में डा. रविकांत द्विवेदी, दिमनी में सुरेंद्र सिंह तोमर, मुरैना में रमेश उपाध्याय, पेटलावद (एसटी) में कोमल दामोर, सिरमौर में सरिता पांडे, सिरोंज में आईएस मोर्य, चुरहट में अनेंद्र गोविंद मिश्रा राजन और महाराजपुर के लिए इंजी. रामजी पटेल को प्रत्याशी बनाया है। इसके साथ ही आप ने कांग्रेस पद दबाव बनाया है। दरअसल, केंद्र में विपक्षी दलों का गणबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्ल्युसिव एलायंस ‘इंडिया’ बनने के बाद आम आदमी पार्टी ने मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से प्रदेश की 230 सीटों में अपना हिस्सा मांगा है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी का कहना है कि गठबंधन बन गया है तो केंद्र ही नहीं राज्यों के चुनाव में भी कांग्रेस गठबंधन धर्म निभाए। आप मध्यप्रदेश की करीब 50 सीटों पर खुद को मजबूत मानकर चल रही है और वह इतनी ही सीटें कांग्रेस से मांग रही है। आप के इस दावे ने टिकट समीकरण बिगाड़ दिया है
बताया जाता है कि इंडिया गठबंधन की जो केंद्रीय बैठक गत दिनों हुई थी, उसमें भी आम आदमी पार्टी की ओर से मध्यप्रदेश सहित जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, वहां सीटों के बंटवारे का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था। इस मुद्दे के उठने के बाद टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा है। हिंदीभाषी जिन तीन बड़े राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नवंबर माह में विधानसभा चुनाव संभावित हैं, उनमें से दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में है और मध्यप्रदेश में फिलहाल मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। कांग्रेस को ये विश्वास है कि वो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दोबारा सरकार बनाएगी, वहीं मध्यप्रदेश में भी 2018 की तरह सत्ता में वापसी करेगी। इसलिए इन तीनों राज्यों की लगभग सभी सीटों पर वह अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही थी, लेकिन आम आदमी पार्टी सहित इंडिया गठबंधन में जुड़े कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों की ओर से सीटों के बंटवारे की मांग उठने के बाद कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष मुश्किल खड़ी हो गई है। आम आदमी पार्टी के मध्यप्रदेश के नेताओं और रणनीतिकारों का कहना है कि पार्टी का नगर निगम चुनाव में प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। पार्टी ने इन चुनावों में मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र रीवा संभाग और ग्वालियर-चंबल संभाग में अच्छा प्रदर्शन किया था। एक नगर निगम पर कब्जा भी जमाया था। इसलिए पार्टी को इन दोनों संभागों में कांग्रेस पर सीटों के बंटवारे के लिए दबाव बना रही है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी को यह भी भरोसा है कि इंदौर, भोपाल, जबलपुर जैसे बड़े शहरों में भी मतदाताओं का खासा समर्थन मिल सकता है। इसलिए मालवा-निमाड़, महाकौशल और मध्यभारत में भी वह कांग्रेस से सीटें मांगेंगी।
मध्यप्रदेश में अगर कांग्रेस सीटों के बंटवारे को तैयार नहीं होती है तो आम आदमी पार्टी इस बात की भी तैयारी कर रही है कि वो प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। आप नेताओं का दावा है कि कांग्रेस अगर सीटों के बंटवारे पर राजी नहीं होती है तो ना केवल पूरे प्रदेश में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी, बल्कि ग्वालियर-चंबल और रीवा संभाग में 15 से ज्यादा सीटों पर जीत भी दर्ज करेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच 2018 की ही तरह 2023 में कांटे का मुकाबला होने जा रहा है। ऐसे में सीटों के बंटवारे को लेकर आप और कांग्रेस में सहमति नहीं बनती है और दोनों दल सभी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारते हैं तो इसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है, क्योंकि पिछली बार भी कई सीटोंपर जीत-हार का अंतर कुछ सौ वोट ही रहा है।
इंडिया गठबंधन बनने के कुछ ही दिनों बाद विधानसभा चुनावों में सीटों को लेकर इस गठबंधन में शामिल दलों के बीच खींचतान सामने आ गई है। सूत्रों का तो यह भी दावा है कि मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी द्वारा करीब 50 सीटों पर अपना दावा ठोंक दिए जाने के बाद कांग्रेस के लिए टिकट वितरण का काम पेचीदा हो चला है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी जहां कई दिन पहले 39 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है और दूसरी सूची जारी करने की तैयारी कर रही है, वहीं कांग्रेस अब तक अपने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी नहीं कर पाई है। इसकी एक वजह आम आदमी पार्टी का आंखें दिखाना भी है। हालांकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के पदाधिकारी इस मामले में कुछ भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं। जब टिकट बंटवारे की बात आती है तो कहा जाता है कि हमारा लक्ष्य एक ही है मध्यप्रदेश में भाजपा को सत्ता में आने से रोकना, बाकी हम आपसी मुद्दों को वक्त आने पर मिल बैठकर हल कर लेंगे।