पटियाला। राज्य में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने पर सरकार ने 1,319 पर्यवेक्षकों व अधिकारियों को नोटिस देकर जवाबतलबी की है। इसके साथ ही खेतों में लगी आग को बुझाने में सही समय पर हरकत में न आने पर 79 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

दूसरी तरफ, बुधवार को राज्य में 179 जगह पराली जलाने की घटनाओं के साथ ही कुल आंकड़ा 10,104 तक पहुंच गया है। पराली जलाने से अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़ और पटियाला का अधिकतम वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) भी 300 पार रहा जोकि बहुत खराब है।

18 नवंबर तक जारी किए नोटिस में सबसे ज्यादा 165 अधिकारी गुरदासपुर से हैं। तरनतारन के 164 जालंधर के 152, फिरोजपुर के 134, कपूरथला के 128 व अमृतसर के 127 अधिकारी हैं।

पराली जलाने के केस 10 हजार के पार
मौजूदा धान सीजन में पराली जलाने के केस 10 हजार पार कर गए हैं। बुधवार को राज्य में 179 जगह पराली जलाने के केस मिले। इनमें सबसे ज्यादा 26-26 केस फिरोजपुर और संगरूर में मिले। मुक्तसर में 20, तरनतारन में 15, फरीदकोट में 14, फाजिल्का में दस, मोगा में नौ व लुधियाना, बठिंडा व बरनाला में आठ-आठ केस मिले।

1.70 करोड़ रुपये का किसानों को हो चुका जुर्माना
राज्य में पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना और केस दर्ज होने के बावजूद इन घटनाओं में कमी नहीं आई है। राज्य में अब तक किसानों को कुल एक करोड़ 70 लाख 22 हजार 500 रुपये जुर्माना किया है। इसमें से एक करोड़ पांच लाख 37 हजार 500 रुपये की वसूली की जा चुकी है।

इसमें सबसे ज्यादा 29 लाख 67 हजार 500 रुपये जुर्माना फिरोजपुर में किया है। मोगा में 21 लाख 70 हजार रुपये जुर्माना किया है। राज्य में पराली जलाने के मामलों में 4711 एफआइआर दर्ज की गई हैं। इनमें से 809 फिरोजपुर, 550 तरनतारन, 427 संगरूर और 423 पटियाला में दर्ज हैं। 

धूप खिलने के बाद पराली जलाने के मामलों में इजाफा हुआ है। पराली सूखने के साथ ही किसान आग लगाने लगे हैं। इसी बीच गांव सेखा कलां में आग लगने पर रिपोर्ट करने गए कलस्टर अफसर को विरोध का सामना करना पड़ा है।