सज गया माता रानी का सुंदर दरबार, 
लो आ गया नवरात्रि का पावन त्योहार l
हर्षित मन से पूजते सब भक्तगण दुर्ग भवानी को, 
घर घर घट स्थापना कर रिझाते अंबे रानी को।।
नवरात्रों में नौ दिन मॉं आदिशक्ति जगजननी   नौ रूपों को लेके आती, 
हे माॅं दुर्गा अष्टभवानी तेरे नौ स्वरूपों का व्याख्यान करती ये भक्तन तुम्हारी।।
प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री श्वेत वस्त्र धारण बैल पर सवार आती, 
आके भक्तों की झोली खुशियों से भर जाती।।
द्वितीय रूप में माँ ब्रम्हचारिणी यहां है  आती ,
अपने साथ सदाचार और संयम की भावना  ले आती।
तीसरे दिवस माॅं चंद्रघंटा के स्वरूप में भक्त भाव विभोर होते, 
माँ से पापो से मुक्ति और वीरता  के आशीर्वाद पा के हर्षित होते ।।
चतुर्थी  पर माॅं कुष्मांडा की करते  सब साधना,
आराधना कर आयु और यश बढ़ता मिलती सभी सिद्धिया।।
पंचमी अपने साथ लाती माँ स्कंदमाता को, 
जो खोल देती भक्तों के लिए मोक्ष के द्वार कर हर इच्छा  पूर्ण।।
नवरात्रि के छठे दिन आती माॅं कात्यानी  गूंजता रहता जिसका  हर तरफ जयकारा,
कात्यान ऋषि के आंगन जन्म लेकर हे माॅं कात्यानी तूने  ही भक्तों को हर संकट  से तारा ।।
आया सप्तमी का दिवस माँ  कालरात्रि  को लेके, 
चण्ड मुण्ड का नरसंहार करके चामुंडा देवी तुम  इस जगत में कहलाई।।
आ गई अष्टमी सिंह पर सवार माँ महागौरी को लेके, 
शंख चक्र त्रिशूल कर में धारण  माॅं महिषासुरमर्दिनी दुष्टों को संहारती।
माॅं सिद्धिदात्री आती नवमी को  करके माँ के नौ स्वरूप को पूर्ण, 
कर ध्यान धूप माँ कर भक्त करवा लेते अपनी हर मनोकामना पूर्ण ।।
हे अद्भुत और अलौकिक माँ का हर एक सरूप, 
चण्ड मुण्ड,रक्तबीज, शुंभ -निशुंभ ,महिषासुर के अंत की कथा अपने अंदर समेटे हुए।।

"देवी माँ नौ रूप ले इस धरती पर पूजी जाती
जब आती नवरात्रि तो नव दिन का व्रत की जाती।"
Suchita sakunia 
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Suchita @उड़ान