नालंदा निवासी 11वीं पास युवक ने देशभर के पांच हजार से ज्यादा लोगों से करोड़ों रुपये ठग लिए। वह और उसका गिरोह सस्ते दामों पर लोहे का सरिया, सीमेंट व अन्य बिल्डिंग मेटेरियल देने के नाम पर जालसाजी कर रहा था।

दक्षिण जिले की साइबर थाना पुलिस ने गिरोह सरगना उदय कुमार को बिहार से गिरफ्तार किया है। पुलिस इस गिरोह के सदस्यों चंदौली के आदमपुर सरैया अमर पुर निवासी इकबाल अहमद व वाराणसी के महमूरगंज निवासी मोहम्मद कर्मे अजीम को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

महरौली निवासी विक्रम खट्टर दिल्ली सरकार में एकाउंटेंट हैं। उन्हें टीएमटी सरिया की जरूरत थी। इन्होंने गूगल पर सर्च किया तो एक पेज खुला। इस पर एक मोबाइल नंबर मिला। पीडि़त ने इस नंबर पर बात की तो आरोपियों ने टीएमटी सरिया सस्ते में देने का झांसा दिया। आरोपियों ने पीड़ित से 5,33,228 रुपये जमा करा लिए। इसके बाद आरोपी गूगल वाट्सएप एकाउंट बंद कर गायब हो गए।
एकाउंटेंट की शिकायत पर मामला दर्जकर जिले के साइबर थानाध्यक्ष अरुण कुमार वर्मा की देखरेख में एसआई संजय सिंह, हवलदार महेंद्र सिंह, प्रदीप व राजकुमार झुंझुनूवाला की टीम ने जांच शुरू की। एसआई संजय सिंह की टीम ने उस बैंक खातों की डिटेल खंगाली, जिनमें ठगी की रकम गई थी। जांच में पता लगा कि आरोपी लखनऊ, यूपी से ठगी कर रहे हैं।

इसके बाद एसआई संजय सिंह की टीम ने महमूरगंज, वाराणसी, उत्तर प्रदेश निवासी मोहम्मद कर्मे अज़ीम पुत्र कमाल महमूद और अमरपुर, सरैया, वाराणसी, आदमपुर, चंदौली, उ.प्र. निवासी इकबाल अहमद पुत्र मुख्गार अहमद को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद एसआई संजय सिंह की टीम ने गिरोह सरगना उदय कुमार की तलाश शुरू की। इस टीम ने कई दिनों तक और कई बार बिहार में दबिश दी। आखिरकार पुलिस टीम ने नालंदा, बिहार निवासी उदय कुमार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार आरोपी पूरे देश में ठगी कर रहे थे।

गूगल पर विज्ञापन देकर कर रहे थे ठगी

गिरोह सरगना उदय कुमार गूगल पर सीमेंट, लोहे के सरिए, पतंजलि आदि का ऐड देता था। वह और उसका गिरोह इन चीजों को मार्केट रेट से सस्ते में देने का झांसा देते थे। ये विज्ञापन में अपना मोबाइल नंबर देते थे। इन्होंने गूगल को पेमेंट देकर अपना विज्ञापन सबसे ऊपर करवा लेते थे। जैसे ही कोई पीडि़त इनको फोन करता था तो वह फोन उदय कुमार के पास जाता था। उदय पीडि़तों को अपने साथियों के नंबर दे देता था। ये आरोपी कंपनी के डीलर बनकर पीड़ित को सस्ते में सामान देकर का झांसा देते थे। जब पीड़ित पेमेंट जमा कर देता था तो ये पैसे लेकर उसका नंबर ब्लाक कर देते थे और उसके बाद गायब हो जाते थे।