मुंबई । बॉम्बे हाई कोर्ट ने पासपोर्ट में गलत जन्म तारीख दर्ज कराने की वजह से आपराधिक मामला झेल रही युवती को राहत प्रदान कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि 7 से 12 साल के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, क्योंकि इस उम्र में बच्चे में कोई समझ नहीं होती। आईपीसी की धारा 83 में यह स्पष्ट किया गया है। मामले से जुड़ी युवती ने 2002 में जब पासपोर्ट के लिए पहली अर्जी दी थी, उस समय उसकी उम्र 12 साल से कम थी। सरकारी वकील ने रिकार्ड में ऐसी कोई सामग्री नहीं पेश की है, जो यह ज्ञात कराए कि तत्कालीन समय में युवती ने खुद के कार्य को लेकर पर्याप्त परिपक्वता हासिल कर ली थी। युवती ने गलत जन्म तारीख से जुड़े पासपोर्ट का इस्तेमाल नहीं किया है। प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है, ऐसे में युवती के खिलाफ 13 साल पहले दर्ज एफआईआर को जारी रखना पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चंडक की बेंच ने यह मत व्यक्त करते युवती के खिलाफ वरली पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। गौरतलब है ‎कि 2016 में युवती ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। तब कोर्ट ने उसे अंतरिम राहत दी थी। युवती के मुताबिक, ट्रैवल एजेंट ने पहली बार उसके पासपोर्ट के लिए अर्जी दी थी। तब पासपोर्ट में उसकी जन्म तारीख 22 अप्रैल 1991 दर्ज हुई थी। पहले पासपोर्ट की अवधि समाप्त होने के बाद युवती ने जनवरी 2009 में नए पासपोर्ट के लिए अर्जी दी। इसमें जन्म तारीख 22 दिसंबर 1990 दर्ज कराई। यह युवती की असली जन्म तारीख थी। मगर पासपोर्ट कार्यालय ने केस की पड़ताल करने के बाद युवती को नोटिस जारी किया और एफआईआर दर्ज कराई।