इंदौर  ।   हम पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में हैं, लेकिन कांग्रेस यह नहीं चाहती। जीएसटी काउंसिल पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की दर तय कर दे, हम उसी दिन उसे लागू कर देंगे। भाजपा हमेशा पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में रही है। यह देखना चाहिए कि इसे रोकने वाला कौन है। प्रियंका गांधी को चाहिए कि वे कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहें कि वे जीएसटी काउंसिल में आकर इसकी मांग करें, लेकिन वे ऐसा नहीं करतीं। ये बातें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कही। वे शुक्रवार को इंदौर प्रवास पर थीं। पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने कहा कि जब अरुण जेटली वित्त मंत्री थे तब ही उन्होंने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रविधान किया था। पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने में जनता का फायदा है, लेकिन कांग्रेस जनता के सामने कुछ कहती है व जीएसटी काउंसिल में कुछ और बात करती है।

महिलाओं पर सबसे ज्यादा अत्याचार राजस्थान में

मप्र में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार को लेकर पूछे एक सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि राजस्थान में हालत सबसे ज्यादा खराब हैं। प्रियंका गांधी वहां के हालात को लेकर कुछ नहीं कहतीं। कमल नाथ की सरकार ने भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई 51 कल्याणकारी योजनाएं रोक दी थीं। कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस काल में जो रकम घोटालों और बिचौलियों के पास जाती थी, आज उसका उपयोग गरीब कल्याण के लिए हो रहा है।

जिस राज्य में कांग्रेस की सरकार आई वहां हालत बिगड़ गए

वित्त मंत्री ने कहा कि जिस-जिस राज्य में कांग्रेस की सरकार आई वहां-वहां हालत बिगड़ गए। मप्र को लेकर उन्होंने कहा कि किसी समय यह बीमारू राज्य था, लेकिन आज बेमिसाल राज्य बन गया है। यह सिर्फ भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की वजह से हो रहा है। जैसे ही किसी राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है वह एक परिवार का एटीएम बन जाती है। कांग्रेस ने वर्षों तक गरीबी खत्म करने का नारा दिया, लेकिन किया कुछ नहीं। उसने 25 हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले किए हैं।

कांग्रेस और कमल नाथ को सिखों की पुकार सुनना चाहिए

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि हमें ध्यान रखना चाहिए कि 84 के दंगों को लेकर कांग्रेस की ओर से माफी मनमोहन सिंह ने मांगी थी, जो खुद सिख हैं। कांग्रेस और कमल नाथ को सिखों की पुकार सुनना चाहिए। कांग्रेस ने वर्षों तक इन दंगों के प्रकरणों को दबाकर रखा था। भाजपा सरकार ने इनमें दोबारा सुनवाई शुरू करवाई। चर्चा में राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट राकेश सिंह, सांसद शंकर लालवानी, प्रदेश प्रवक्ता गोविंद मालू, नरेंद्र सलूजा, आलोक दुबे, प्रदेश मीडिया प्रभारी दीपक जैन टीनू भी उपस्थित थे।