भोपाल ।   सुशोभन बैनर्जी IPS Addl. D.G. सेवा निवृत्त हो गए। 27 वर्षों से निरंतर जीवंत मित्रता के बंधन रहते हुए मैं सेवा निवृत्ति के समय दतिया से भोपाल और फिर उनके साथ सागर जे.एन. एकेडमी पहुंचे। तीन घंटे के विदाई के भव्य एवं भावपूर्ण कार्यक्रम में सागर एस.पी. अभिशेख तिवारी, लोकायुक्त एस.पी. त्रिपाठी एवं एकेडमी के समस्त पुलिस अधिकारी की गरिमामई उपस्थिति में उद्बोधन हुए। उसी समय का मेरा उद्बोधन। प्रश्न यह है कि इतने व्यस्ततापूर्ण जीवन में मैंने भोपाल होते हुए 660 किलोमीटर जाना और इतनी ही वापिसी का समय व साथ क्यों दिया ? सुशोभन बैनर्जी   अपने सम्पूर्ण सेवाकाल एक कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार पुलिस अधिकारी रहे।

 

उन्होंने कभी भी किसी भी प्रकार के नाजायज दबाव में काम नहीं किया और किसी के पिट्ठू हो कर नहीं रहे। वह जब लोकायुक्त व ई.ओ.डब्लू. में रहे, बड़ी से बड़ी हस्तियों को नहीं छोड़ा, भले ही अंजाम कुछ भी हो। मैं स्वयं यह मानता हूं और कहना चाहता हूं कि जब जहां जो भी ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति मिले, उसे भरपूर सम्मान देना चाहिए, क्योंकि यही उसकी सबसे बड़ी पूंजी होती है। क्या हम यह अनुभव नहीं करते हैं कि एक नाजायज दबाव बनने की परम्परा पिछले लगभग तीन दशकों से है। क्या हम यह अनुभव नहीं करते हैं कि जो सत्य व संघर्ष के रास्ते पर चलते हैं, दबाव में नहीं आते, उन्हें हर तरह से परेशान किया जाता है या लूप लाइन में डाल दिया जाता है। और जो सिस्टम से समझौता कर लेते हैं, वे खुश रहते व गुलछर्रे उड़ाते। लेकिन उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता, जैसा आज मैंने विदाई समारोह में देखा। कहना चाहूंगा कि हम अपने स्वयं के न्यायाधीश बने। हम दूसरों की नजर में कैसे हैं, वे दूसरे जाने, ईश्वर से बिनती है कि हम अपनी स्वयं की नजर में कभी न गिर पांए। सुशोभन बैनर्जी, रिटायर्ड हुए हैं, लेकिन टायर्ड नहीं हैं। मेरी अनंत शुभकामनाएं उनके साथ हैं।