धनबाद में खसरा से 3 बच्चों की मौत और नियमित टीकाकरण में पिछड़ने के बाद मिशन इंद्रधनुष अभियान की शुरुआत की गई है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिशन इंद्रधनुष के लिए बनाए गए माइक्रोप्लान और धरातल पर वास्तविकता में काफी अंतर देखने को मिल रहा है।

लाभुकों के खोज में जुटे स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी

7 अगस्त से 12 अगस्त तक के बीच धनबाद में मिशन इंद्रधनुष के तहत 0 से लेकर 5 वर्ष के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई है। राज्य स्तरीय टीम ने विभिन्न प्रखंडों में दौरा किया, लेकिन माइक्रो प्लान के अनुसार कहीं भी लाभुक नहीं मिल रहे हैं। गोविंदपुर प्रखंड में लाभुकों की संख्या अधिकारियों को नहीं मिल रही है। यही हाल टुंडी प्रखंड का भी है। ऐसे में अब लाभुकों की खोज में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जुटे हुए हैं।

खसरा से बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने लिया था संज्ञान

खसरा से तीन बच्चों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वत संज्ञान लिया। दो बार केंद्रीय टीम ने जिले का दौरा करके मिशन इंद्रधनुष शुरुआत करने की सिफारिश की। इसके बाद धनबाद में मिशन इंद्रधनुष अभियान एक बार फिर से शुरुआत की गई। जांच में यह पाया गया राज्य सरकार के टीकाकरण विभाग की ओर से बेहतर कार्य नहीं किए गए। वर्ष 2019 में मिजिल्स से बचाव के लिए देशभर में टीकाकरण अभियान चलाया गया। तब धनबाद में लक्ष्य की तुलना में महज 47 प्रतिशत बच्चाें काे टीका लगाया गया था। उसके बाद 2021-22 में राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने भी टीकाकरण अभियान शुरू किया। लेकिन यहां भी टीकाकरण में 33 प्रतिशत बच्चे छूट गए।

ओवर रिपोर्टिंग करके बनाई गई थी फर्जी रिपोर्ट, जांच में खुलासा

गोविंदपुर प्रखंड में जहां खसरा से बच्चों की मौत हुई, वहां पर प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक की ओर से टीकाकरण की फर्जी रिपोर्ट बनाई गई। यहां पर 100 प्रतिशत टीकाकरण पूर्ण होने की घोषणा की गई। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जांच में पाया कि मात्र 55 प्रतिशत बच्चों को ही टीका ल है। इसके बाद इलाके में खसरा ने पांव पसार लिया। प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया।