भोपाल । मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पिछले चार चुनाव से भाजपा का दबदबा है। कांग्रेस लगातार संघर्ष करती आ रही है। बुंदेलखंड की 26 सीटों में अभी भाजपा के पास 18, कांग्रेस के पास सात और एक बसपा के पास है। यहां जातिगत राजनीति हावी रहती है। राजनीतिक दल भी जाति के आधार पर ही अपने प्रत्याशी उतारते रहे हैं। यही वजह है कि यहां सपा और बसपा भी परिणाम प्रभावित करती हैं। वर्तमान समय में बुंदेलखंड की 18 सीटों पर भाजपा, सात पर कांग्रेस और एक पर बसपा का कब्जा है। 2013  में भाजपा को 20 और कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं। 2008 में भाजपा को 14, कांग्रेस को आठ, जनशक्ति को दो, सपा को एक और निर्दलीय को एक सीट मिली थी। वहीं 2003 में भाजपा को 20 और कांग्रेस को दो तथा सपा को दो सीट मिली थ्ज्ञी।
क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लिए आठ सीटें आरक्षित हैं। इसमें से पांच सीटें भाजपा और एक सीट कांग्रेस के पास है। इस बार भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सागर में संत रविदास के मंदिर का शिलान्यास करा कर अनुसूचित जाति के वोटरों को साधने का दांव चला है। इसकी काट में कांग्रेस ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से कांग्रेस की सरकार बनने पर संत रविदास के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाने का एलान कराया। भाजपा अपने प्रदर्शन को दोहराना चाहती है। चुनाव से पहले इस क्षेत्र में कई सौगातें दी है। वहीं, कांग्रेस भी अपनी सीट बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रही है।

भाजपा ने 15 पर प्रत्याशी घोषित किए
बुंदेलखंड की 24 सीटों में से 15 पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। बाकी सीटों पर भाजपा का मंथन जारी है। निवाड़ी, पृथ्वीपुर, जतारा, टीकमगढ में भाजपा में पेच फंसा हुआ है। इस क्षेत्र की एकमात्र सीट खरगापुर से भाजपा ने उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को चुनाव मैदान में उतारा है। इसे लोधी वोटरों को साधने के लिए भाजपा का जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण का बड़ा दांव बताया जा रहा है। वहीं, सागर की आठ में से सात सीट पर भाजपा ने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। इसमें सुरखी से गोविंद सिंह राजपूत, रेहली से गोपाल भार्गव, खुरई से भूपेंद्र सिंह, नरियावली से इंजीनियर प्रदीप लारिया, सागर से शैलेंद्र जैन, देवरी से ब्रजबिहार पटैरिया और बंडा से वीरेंद्र सिंह लोधी शामिल हैं। यहां पर बीना सीट पर अभी पेच फंसा हुआ है। यहां से वीरेंद्र खटीक को चुनाव में उतारने की अटकलें लगाई जा रही हैं। छतरपुर की चंदला और बिजावर विधानसभा सीट को छोडक़र छह में से चार सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। वहीं, दमोह जिले की पांच सीटों में से केवल दमोह और गुन्नौर सीट पर ही अभी तक उम्मीदवार घोषित किए गए हैं।

बसपा, सपा और भीम आर्मी मैदान में
बुंदेलखंड में छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ के इलाके उत्तर प्रदेश सीमा से लगे हुए हैं। यहां पर बसपा और सपा का प्रभाव रहा है। बुंदेलखंड पिछडेपन के साथ जातिवाद की बड़ी समस्या है। यही वजह है कि यहां पर भाजपा और कांग्रेस के अलावा दूसरे दल भी बाजी मार जाते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बुंदेलखंड क्षेत्र में बीएसपी की रामबाई पथरिया और बिजावर से सपा के राजेश शुक्ला गोलू भैया जीते थे। हालांकि, सपा उम्मीदवार बाद में भाजपा में शामिल हो गए। इस बार भी उत्तर प्रदेश से लगी बुंदेलखंड की सीटों पर बसपा और सपा कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है।

केन बेतवा प्रोजेक्ट से भाजपा को उम्मीद
चुनाव के पहले भाजपा की मोदी सरकार ने केन बेतवा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। इसे बुंदेलखंड के लिए मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। यह नदी जोडो योजना है। इससे बुंदेलखंड की लंबे समय की सूखे की समस्या खत्म होने की उम्मीद है। बुंदेलखंड के छह जिले सागर, दमोह, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और निवाड़ी है।