मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने आगामी नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश में नई शराब नीति लागू करने का फैसला ले लिया है। एक दिन पूर्व ही प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में 1 अप्रैल 2022 से नई शराब नीति को प्रदेश में लागू करने का ऐलान किया। देखा जाए तो नई शराब नीति लागू करने के निर्णय से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वाली भाजपा सरकार का दोहरा चरित्र सामने आया है। 18 महीने की कमलनाथ सरकार के समय जो शिवराज सिंह चौहान शराब माफियाओं के खिलाफ आंदोलन करने, प्रदेश में शराब बिक्री को लेकर मोर्चा निकालने की बात करते थे, वहीं दोबारा सत्ता संभालते ही अपना रंग बदल लिया है। यही नहीं साजिशन सरकार ने ऐसी शराब नीति तैयार की है जिससे शराब आने वाले समय में घर-घर तक आसानी से पहुंचेगी।
 

घर पर शराब रखने की सीमा में ढिलाई
     

    देखा जाए तो शिवराज सिंह चौहान की छवि एक संवेदनशील राजनेता और मुख्यमंत्री के तौर पर देशभर में जानी जाती है। लेकिन मुख्यमंत्री के इस फैसले से निश्चिततौर पर उनकी छवि पर भी इसका दुष्प्रभाव होगा। नई शराब नीति के तहत अब लोग घरों में पहले की तुलना में चार गुना अधिक शराब रख सकेंगे। यानि जो व्यक्ति पहले घर पर दो बोतल रख सकता था अब वह आठ बोतल शराब रख सकता है। कैबिनेट के इस फैसले ने मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि आखिर राज्य सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि उन्हें नई शराब नीति में इस तरह के प्रावधान लागू करने की आवश्यकता पड़ गयी।
 

माइक्रोबेवरेज को मिली मंजूरी
 

      प्रदेश के राजनेता पुत्र और अफरसरों के बीच चर्चा में रहे माइक्रोबेवरेज को भी शिवराज सरकार ने मंजूरी दे दी है। यानि भोपाल और इंदौर में लोग अब माइक्रोबेवरेज यूनिट लगा सकेंगे। यानि अब इन शहरों में 500 से 1000 लीटर शराब बनाकर बेचने की खुली परमिशन होगी। इससे साफ है कि इन दोनों ही शहरों में युवाओं को बीयर पिलाने और उन्हें बर्बाद करने की पूरी कोशिश रहेगी। विश्वसत सूत्रों की मानें तो माइक्रोबेवरेज यूनिट लगाने के पीछे राजनेताओं और अफसरों का खुद के बच्चों को शराब के व्यापार में स्थापित करने की योजना बताया जा रहा है। माइक्रोब्रेवरी का फैसला काफी चौकाने वाला रहा कहीं दूध के व्यापार के बाद शराब का विस्तार तो नहीं।ऐसे में अन्य राजनेताओं और अफसरों ने शराब के क्षेत्र में अपने पुत्रों को स्थापित करने की योजना को मंजूरी दिलवाई है।
 

होम बार लाइसेंस किसके लिए है सरकार
   

    नई शराब नीति के तहत एक बात जो गौर करने वाली है वो यह कि प्रदेश सरकार ने नई नीति में होम बार लाइसेंस जारी करने पर सहमति जताई है। यानि जिस भी व्यक्ति की सालाना आय 1 करोड़ या उससे अधिक है तो वो भी अपने घर में ही बार का संचालन कर सकता है। यानि अब अफसरों और राजनेताओं को शराब पीने के लिए इधर-उधर कहीं जाने की आवश्यकता नहीं। अब ये सभी आराम से घर में बैठकर ही शराब का जाम छलका सकेंगे। क्योंकि जिस प्रदेश में सामान्य व्यक्ति की सालाना आया 60 हजार से भी कम है वो भला कैसे होम बार के बारे में सोच सकता है। इशारा साफ है शराब नीति का यह प्रावधान राजनेताओं ने अपने शौक को पूरा करने के लिए किया है।
 

देशी-विदेशी एक ही दुकान पर होगी उपलब्ध

          नई शराब नीति में प्रावधान किया गया है कि अब देशी और अंग्रेजी शराब की बिक्री एक ही दुकान से होगी। प्रदेश में 11 डिस्टलरी के जिलों में सप्लाई के लिए टेंडर जारी नहीं होंगे। ऐसे में सभी 11 डिस्टलरी को सभी संभागों में विदेशी शराब की तरह ही गोदामों में शराब रखना होगी। वहां से ठेकेदार शराब की क्वालिटी और कीमत का अध्ययन कर शराब अपनी दुकानों के लिए खरीदेंगे। यानि इसका मतलब साफ है कि राज्य सरकार शराब ठेकेदारों को कई गुना मंहगे में इनके ठेके अलॉट करेगी और शराब माफिया मनचाहे ढंग से शराब की बिक्री को अंजाम देंगे।
 

रोज़गार की आवश्यकता है शराब की नहीं

         खुद को जनता का सेवक और युवाओं का मामा बताने वाले शिवराज सिंह चौहान को इस बात का तनिक भी अंदाजा नहीं है कि आज के समय में युवाओं की आवश्यकता क्या है शराब या रोज़गार। कोरोना के संकटकाल में जब युवा नौकरी के संकट से जूझते हुए घरों में बैठने को मजबूर है, उन्हें काम धंधे की तलाश है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनके हाथों में नौकरी देने के बजाया शराब की बोतल टिका रहे है।
 

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की बात मध्यप्रदेश में कोई मान नहीं रहा
     

     कुछ समय पूर्व प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता उमा भारती ने प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा शराब की दुकानों में बढ़ोत्तरी करने को लेकर कड़ा विरोध किया था। उनके विरोध के चलते पहले तो शिवराज सरकार ने इस पूरे मामले को दबाया और उसके बाद धीरे से भाजपा के ही वरिष्ठ नेताओं के माध्यम से उमा भारती को चुप्पी साध रखने का दबाव बनाने का काम किया। गौरतलब है कि उमा भारती ने प्रदेश में शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए 15 जनवरी 2022 से मोर्चा निकालने की बात कही थी। तय तारीख निकलने के बाद उमा भारती मोर्चा निकालने में कामयाब तो नहीं हो पाई, लेकन शिवराज सरकार ने नई शराब नीति लागू करने का फैसला लेकर उमा भारती की आवाज को पूरी तरह से बंद कर दिया। वैसे भी मध्यप्रदेश भाजपा में उमा भारती की बात का कोई मान नहीं रखा है।