मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल| मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पप्पन कलां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का शनिवार को निरीक्षण किया। इस मौके पर उन्होंने बताया कि 300 एकड़ क्षेत्र में सरकार 26 झीलों का निर्माण कराएगी। इसमें 230 एमजीडी ट्रीटेड पानी डाला जाएगा।

दिल्ली में पानी की समस्या से जल्द ही राहत मिलेगी। सरकार इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम कर रही है। झीलों का जीर्णोद्धार और नव निर्माण कर ग्राउंड वाटर को रिचार्ज किया जा रहा है। सरकार दिल्ली में 26 लेक और 380 वॉटर बॉडी बना रही। जिससे दिल्ली झीलों का शहर तो बनेगी ही साथ ही पानी की समस्या से निजात मिलेगी। इतना ही नहीं एयरेटर्स लगाकर झीलों के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाई जाएगी ताकि पानी पीने लायक हो सके।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पप्पन कलां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का शनिवार को निरीक्षण किया। इस मौके पर उन्होंने बताया कि 300 एकड़ क्षेत्र में सरकार 26 झीलों का निर्माण कराएगी। इसमें 230 एमजीडी ट्रीटेड पानी डाला जाएगा। झीलें ठीक करने से दिल्ली झीलों का शहर बनेगी और पानी की समस्या से निजात मिलेगी। पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाई जा रही है ताकि पानी पीने लायक हो सके। पप्पन कलां झील के आधे किलोमीटर के दायरे में भूजल का स्तर 6.25 मीटर बढ़ गया है। इस मौके पर जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ‘आप’ की सरकार बनने से पहले द्वारका में पानी नहीं आता था। मुख्यमंत्री ने इस इलाके तक पानी पहुंचाया। दिल्ली सरकार पप्पन कलां झील में खूबसूरत वॉकिंग ट्रैक और पार्क बनाएगी, जिसका लोग आनंद ले सकेंगे।

झीलों पर बने वेटलैंड में आ रहे पक्षी

इन कृत्रिम झीलों के अंदर कई वेटलैंड्स बनाए गए हैं। इस वजह से यहां कई तरह पक्षी भी आ रहे हैं। इससे पूरा वातावरण बहुत सुंदर हो गया है। दिल्ली के माहौल के अंदर इस तरह का वातावरण मिलना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसी तरह से 26 झीलें बना रहे हैं। जिसमें से 16 कृत्रिम झीलें हैं। दिल्ली में 10 प्राकृतिक झीलें हैं, जिनका पानी पूरी तरह से सूख गया है। वहां अब सिर्फ गड्ढे रह गए हैं। दिल्ली सरकार इन झीलों में पानी भरकर इन्हें नया रूप देगी। 

21वीं सदी की तकनीक अपनाई जा रही है

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार आत्मनिर्भर बन अपने स्तर पर भूजल को रिचार्ज और रिसाइकल कर रही है। 21वीं सदी में ऐसी बहुत सी तकनीक आई हैं, जिसकी मदद से ग्राउंड वाटर को रिचार्ज और रिसाइकल कर इस्तेमाल किया जा सकता है। देशभर में ऐसे कई प्रयोग भी हुए हैं। इसी दिशा में दिल्ली सरकार राजधानी में प्रयास कर रही है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी को 10 में से 10 शुद्धता तक साफ करके इसे झीलों में डाला जा रहा है। पप्पन कलां झील में इसी आधार पर सात और चार एकड़ के दो कृत्रिम झीलें बनाई गई हैं।

इन झीलों के अंदर एसटीपी का ट्रीटेड पानी छोड़ा जाता है। झील बनने से इस क्षेत्र की खूबसूरती बढ़ गई है। कृत्रिम झील का फायदा यह है कि झील के अंदर एक साल से ट्रीटेड पानी डालने से इसके आसपास के आधे किलोमीटर के क्षेत्र में भूजल का स्तर बढ़ा है। भूजल स्तर 6.25 मीटर बढ़ गया है। जबकि पहले क्षेत्र का भूजल स्तर 20 मीटर नीचे चला गया था। जल बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक अब इस क्षेत्र में आधे किलोमीटर दूर तक जमीन को 13 मीटर खोदने पर ही पानी उपलब्ध है। झील के आसपास के क्षेत्र में पीजोमीटर लगाए जा रहे हैं, जो यह बताएंगे कि भूजल का स्तर कितना बढ़ा है। 

35 छोटी वॉटर बॉडीज को किया ठीक

मुख्यमंत्री ने कहा कि ढाई एकड़ से कम क्षेत्र में बनी वाटर बॉडीज को छोटी वाटर बॉडीज कहा जाता है। दिल्ली सरकार 35 छोटी वाटर बॉडीज को ठीक कर चुकी है। वहीं पूरी दिल्ली में कुल 380 छोटी वाटर बॉडीज हैं, जिसे सरकार ठीक करेगी। सीएम ने कहा कि इस तरह से दिल्ली में दो काम होंगे। एक तरफ दिल्ली झीलों का शहर बनेगा और दूसरी तरफ दिल्ली में पानी का स्तर बढ़ेगा। दिल्ली के अंदर पानी की समस्या को हल करने में ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज और रिसाइकल करके पानी निकालने का तरीका बहुत कामयाब साबित होगा। 
सितंबर के बाद पप्पन कलां के झील का पानी पीने में इस्तेमाल हो सकेगा।