पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि अगर पति का किसी दूसरी महिला से संबंध है और पत्नी इस संबंध के बारे में अपने पति से कोई जवाब चाहती है तो पति को इसका जवाब देना होगा।अगर पति अपनी पत्नी द्वारा पूछे गए सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं देता अथवा विवाहेतर संबंधों को छिपाता है तो यह उसका अपनी पत्नी के प्रति मानसिक क्रूरता वाला व्यवहार होगा। जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस सुखविंदर कौर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। मामला एक ऐसे पति से जुड़ा था, जिसने पत्नी द्वारा उस पर अवैध संबंधों का आरोप लगाने के आधार पर तलाक मांगा था।

विवाह को तोड़ने जैसा व्यवहार पत्नी के साथ क्रूरता

पति ने अदालत में स्वीकार किया कि वह एक महिला को जानता है और उसके साथ कई बार हवाई जहाज और ट्रेन से यात्रा कर चुका है। हालांकि उसने यह भी कहा कि उनके बीच कोई अवैध संबंध नहीं है। लेकिन कोर्ट ने माना कि विवाहेत्तर संबंधों का उचित स्पष्टीकरण नहीं होना भी विवाह संस्था को तोड़ने जैसा व्यवहार है और इसे पत्नी के साथ क्रूरता ही माना जाएगा।

जानें क्या है यह मामला?

यह मामला फैमिली कोर्ट के 2023 के फैसले के खिलाफ दायर अपील से जुड़ा था, जिसमें पति को तलाक देने से मना कर दिया गया था। पति और पत्नी का विवाह 2011 में हुआ था और उनका एक बच्चा भी है। पति ने आरोप लगाया था कि पत्नी झूठे आरोप लगाकर उसकी प्रतिष्ठा खराब कर रही है, जबकि पत्नी ने कहा कि उसने अपने पति को एक महिला के साथ पार्क में देखा था और पूछने पर पति ने स्वीकार किया कि वह महिला उसकी कंपनी में काम करती है और वह उससे शादी करने वाला है।

अदालत में एक सीडी भी पेश की गई थी, जिसमें पति को एक फ्लैट से एक महिला के साथ निकलते हुए देखा गया था। साथ ही पति और उस महिला ने मिलकर एक कंपनी भी रजिस्टर करवाई हुई थी।

कोर्ट ने कहा कि पति ने खुद भी कई बातें स्वीकार की हैं, जैसे महिला के साथ गोवा यात्रा करना, जिससे साफ है कि पति का व्यवहार ही दांपत्य जीवन में दरार का कारण बना है। अंत में हाई कोर्ट ने कहा कि पति वर्ष 2018 से पत्नी से अलग रह रहा है, लेकिन विवाह टूटने की जिम्मेदारी उसी पर है। इसलिए उसे तलाक की कोई राहत नहीं दी जा सकती। अदालत ने उसकी अपील खारिज कर दी।