“अमृतसर जलियांवाला बाग – हत्याकांड  और बैसाखी”
(दिनाँक 13-04-1919 आज 13-04-2025)
(ब्रिटिश सरकार की बर्बरता का ऐतिहासिक दस्तावेज जो आज भी दिल दहलाती है)

जलियांवाला बाग की बर्बरता का इतिहास आज बैसाखी के दिन उसकी याद हमें हर वर्ष दिला देता है । बैसाखी मेले में आये अमृतसर के चारो तरफ के गाँवों से लोगो की सभा पर जिस निर्दयता के साथ अत्याचार हुआ । आज हम उसकी 107 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे है पर क्यों वह सब कुछ हमें ऐसे लगता है की बात कल की है । प्रथम विश्व युध्द के परिणाम से जो असर हम भारतीयों के जेहन मे चल रहा था, धीरे-धीरे संभलने की ओर बढने लगे थे तभी फिर रोल्ट-एक्ट फिरंगियों के व्दारा एक ऐसा हथियार हमारे सामने आ खड़ा हुआ जो कितना भी संभालो संभलने को राजी न हो सका रोज ही परिस्थितियाँ बनती-बिगड़ती जा रही थी ।  जिसमें कोई वकील नहीं, कोई अपील नहीं और कोई दलील नहीं बस सिर्फ और सिर्फ क्रांतीकारी का जामा पहना कर हर किसी को जो उसमें रहा हो या न रहा हो, केवल और केवल गिरफ्तारी । जिसके परिणाम स्वरूप विद्रोह, दंगों का सिलसिला चलने को आमदा भारतीय लोगों के पास और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं निकला । ब्रिटिश सरकार व्दारा फिर तिलमिलाकर हर जगह धारा 144 का लगाया जाना और इसकी सूचना के प्रचार–प्रसार से सबको वंचित रखते हुए इस कृत्य को अंजाम देना एक षड़यंत्र नहीं तो और क्या था ? जिसका असर देश के हर जगहों पर दिखाई देने लगा  जिसमें प्रमुख अमृतसर, लाहौर इसके मूल केन्द्र रहे । सभी जगह हुआ विशेषकर अमृतसर इसका विशेष रहा फिर सन् 1919 की बात है । इसी आंदोलन में डॉ.सैफुदीन किचलू और डॉ.सत्यपाल की गिरफ्तारी ,फिर उनकी सजा की माफी के प्रयास, लगातार विद्रोह से होने वाले भयावह परिणामों से डरी ब्रितानी सरकार का ये कायरना नरसंहार बैसाखी के दिन 13-04-1919 जनरल डायर के हाथो जलियांवाला बाग ने देखा।   “”भाईजान, जब रोल्ट एक्ट के खिलाफ सारे पंजाब में आंदोलन चल रहा था । अमृतसर की बात करें तो सर माइकल ओ’डायर ने डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स के मातहत गांधीजी का दाखिला पंजाब में बंद करवा दिया था । वे इधर आ रहे थे तो पलवल जगह पर उनको रोक लिया गया । इस तरह के रोकने के परिणाम के विषय मे  ‘’मंटो ” के अनुसार उन्होंने अपने एक लेख मे अपने विचार रखते हुए कहा “”“मैं समझता हूं, भाईजान, अगर अंग्रेज यह गलती न करता तो जलियांवाले बाग का हादसा उसके शासन के स्याह इतिहास में ऐसे खूनी पन्नों की वृध्दि कभी नहीं करता ।“” ऐसी दर्दनाक घटना को हमनें पार तो कर लिय़ा पर आज भी ये धधक रहा है हर भारतीयों के दिलो मे है, हर एक के दिलों मे जलियांवाला बाग ।  “”गुलाम भारत के इतिहास का ये एक ऐसा शर्मनाक दिन जिसे इतिहास के पन्नो में काले अक्षरो से लिखा गया …दिन बैसाखी को अमृतसर का जलियांवाला बाग कांड 13-04-1919। हम सभी इसके 100 वें वर्ष के साक्षी बन रहे है. 13-04-2019 आज हमारे लिए(13-04-2024) भी पार कर गये है और 2025 के पास हम आ खड़े है । आज भी हमारे दिलों मे जो टीस इस बर्बरता पूर्ण हत्याओं की है जाता नही । मैं अपने विचार अपनी कुछ पंक्तियों के माध्यम से प सभी के लिए रखने का प्रयास कर रहा हूः-
(जलियांवाला बाग - हम कैसे तुझे भूल पाएगें)

बहुत ही भयावह था मंजर
मैं कैसे भूल पाउंगा, हर रात की
मेरी नींद उड़ा ले गया
ऐसे मुझको वो सजा दे गया
ना ही कोई नाता उससे मेरा
ना कोई पहचान उससे मेरी
ना परवरदीगार कोई वो मेरा
पर सब मेरे वो अजीज हो गये
बाग जलियांवाला..
हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 1 ।।
हर बार याद करता मैं 
त्यौहार बैसाखी को.और
माँगता मैं दुआ हर बार ही हूँ
जिसने भी देखा होगा वो मंजर
जिस्म हरकत करना छोड़ चुका होगा
सांसे तो सबकी थम गई होगी
हमनें जिनको खोया 
वो तो न फिर आ पाएगें
बता देश तुझसे जुदा हो
हम कैसे फिर जी पाएगें.।
बाग जलियांवाला..
हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 2 ।।

कितने लाशों का समंदर था
बाग मे ऐसा ही मंजर था
जालिमों ने माँ, बहन व बच्चों
को भी ना छोड़ा, निहत्थो पर वार कर
बर्बरता की ऐसी मिसाल कायम कर दी
जो इस देश के इतिहास में न कभी हुआ
फिर लूटी वाहवाही भी परदेश में
तमगे भी मिले ,अंग्रेजों ने तो
इस बाग को मौत का घर बना डाला ।
बाग जलियांवाला..
हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 3 ।।
सवालों केआज वो जवाब देता नहीं
वो एक कुआँ है जो साक्षी था इसका
बचाई असमत हमारे मां बहन बेटियों की
जिसने जितनो को संभाला, संभालते रहे
मौत से लड़ते रहे गोलियाँ चलती रही
खूं से सनी लाशें गरती पर गिरती रही
फिर भी न रूका वो अंग्रेज कायर- डायर। 
बाग जलियांवाला.. हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 4 ।।
आज भी मौजूद है निशान
दीवारों पर रसीदी टिकट की तरह आज भी
चिपके हुए है उन गोलियों के निशान..
जो बच गये थे किसी के सीने उतरने से
उन गोलियों की कसम तो खा सका 
उधम सिंह मेरे, तुझको समर्पित है
हमारा कोटि-कोटि नमन जांबाज ।
बाग जलियांवाला..हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 5 ।।
सुनहरे पलों को तो हर याद करनेवाला
बार-बार ही वो हमेशा याद करता है
भगतसिंह तेरी शहादत तो याद है सबनू
पर तेरी वो कसम बाग जलयेंवाला दी
बता याद कितने करते है, पैदल आया था
बारह बरस का छोरा बारह मील की दूर से
जो उठा मिट्टी खायी थी वीर बालक भगत ने ।
बाग जलियांवाला..हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 6 ।।
माँग सबकी न कोई सौदा मंजूर है
न कोई दया चाहिए हमें तो सिर्फ
हत्यारे जनरल डायर का सर चाहिए
बगावत की इस राह पर निकल पड़े
नौजंवा कई, जानते सब इसका परिणाम
देश तो जूझ रहा है गहरी हो गई गुलामी
सब मतलब आजादी हल टूंढने निकल पड़े ।
बाग जलियांवाला..हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 7 ।।
अंग्रेजी सरकार की कायरता को देख
द्रवित हो गये गुरूदेव ,लौटा दिया उन्होंने
उपाधी वो अपनी, जो अंग्रेजो नी दी थी उन्हें
ये कह कर ऐसी हत्यारी सरकार को नही
अधिकार किसी को ऐसी उपादी देने का
बच्चा बच्चा देश पर मरने को तैयार था
माँ की कोशिश सब बेकार हुई 
जब बच्चों के हलक से निवाला न उतरा ।
बाग जलियांवाला..हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 8 ।।
मैं उन अनगिनत नामों को नहीं जानता
पर ये जानता हूँ, भारत माँ के सच्चे सपूत
हर तरह की आहुति देनों को तैयार हो गये
आजादी का बिगुल बजाने को सब तैयार थे
चाहे जो कुछ भी जिसने खोया भूल कर फिर
सब ने ललकारना वो शुरू कर दिया था
जिसने गोली चलवाई अपनी मौत मरा
जिसने आदेश दिया वो उधम के हिस्से आया ।
बाग जलियांवाला...हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 9 ।।
इस नरसंहार  के हालात  अजीब थे
सभी जो मारे गये हमारे भारतीय थे
जिन्होंने गोलियां चलाई भारतीय थे
बस आदेशो का पालन किया गया
यहाँ कोई  भी प्रतिरोध न कर सका
मेरठ के जाबांज मंगल पांडे की तरह
यह गर हो जाता बात कुछ और होती
बाग जलियांवाला..हम तुझे कैसे भूल पाएगें ।। 10 ।।
उस हत्या कांड के जिम्मेदार जनरल आर डायर और जनरल वो डायर एक ने फरमान जारी किया और एक ने इसे अंजाम दिया जिसने अंजाम दिया वो तो 1927 मे ही मर गया था। जिसने फरमान जारी किया उसको उधम सिंह ने गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया जिसको इस देश में सराहा गया पर कुछ लोगों को यह तरीका पसंद नहीं आया उधम सिंह को 31-07-1940 को फांसी की सजा दी गई।
इतिहास के पन्नों मे दफन इस घटना को पुनः याद करना या कराना मात्र मेरा उदेश्य नहीं वर्ना आप सभी को यह भी इस माध्यम से कहना चाहता हूँ ,इस दौरान हमारे देश मे जिस शिद्दत के साथ हिन्दू-मुस्लीम का भाई चारा हम सभी ने देखा था ,आज हम देश में जिस दौर से गुजर रहे है ,हमें वही भाई-चारा समझना होगा ।   
चिरंजीव  
लिंगम चिरंजीव राव
म.न.11-1-21/1, कार्जी मार्ग
इच्छापुरम ,श्रीकाकुलम (आन्ध्रप्रदेश)
पिनः532 312 मो.न.8639945892