नई दिल्ली । केंद्र सरकार चावल की कुछ किस्मों के लिए नए एचएसएन कोड विकसित करने के बारे में ‎विचार कर रही है ताकि उन किस्मों का निर्यात किया जा सके जिनका देश में लोग उपयोग नहीं करते हैं। वर्तमान में गैर-बासमती सफेद चावल की सभी किस्मों के निर्यात पर रोक लगी है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की प्रस्तुति के अनुसार लाल चावल, काले चावल और कालानमक चावल जैसी जीआई (भौगोलिक संकेतक) दर्जे वाले चावल की किस्मों के लिए अलग-अलग एचएसएन कोड पर काम चल रहा है। वै‎श्विक व्यापार की भाषा में प्रत्येक उत्पाद को एचएसएन कोड (हारमोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर) के तहत वर्गीकृत किया जाता है। यह दुनिया भर में वस्तुओं के व्यवस्थित वर्गीकरण में मदद करता है। वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि गैर-बासमती चावल की करीब 40-50 किस्में होती हैं। सरकार जब उसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाती है, तो सोना मसूरी, गोविंद भोग, कालानमक या सामान्य सफेद गैर-बासमती चावल जैसी सभी किस्मों का निर्यात बंद हो जाता है। उन्होंने कहा ‎कि चावल की कुछ अन्य किस्मों के लिए नया एचएसएन कोड उद्योग की मांग है, इसमें अंतर कैसे करें यह आंतरिक बहस का मुद्दा है। हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं ‎कि ऐसा करने की कोई जरूरत है या नहीं क्योंकि एक ओर हम एक देश के तौर पर चावल पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहेंगे, जिसको लेकर कोई चिंता नहीं है।