नई दिल्ली । नाबालिगों द्वारा जीवित अंग या ऊतक दान के आवेदन पर विचार करते समय प्राधिकारी और राज्य सरकारों के संदर्भ के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो महीने में दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण नियम-2014 के नियम- पांच (तीन) (जी) के तहत दिशानिर्देश दो महीने के भीतर तैयार किए जाएं। नियम-पांच(तीन)(जी) में कहा गया है कि असाधारण चिकित्सा आधारों के अलावा नाबालिगों द्वारा जीवित अंग या ऊतक दान की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने कहा कि इस तरह के असाधारण चिकित्सा आधार निर्धारित नहीं किए गए हैं, जिससे ऐसे दान की अनुमति देने में मनमानी हो सकती है। अदालत ने कहा कि असाधारण चिकित्सा आधारों की प्रकृति को इंगित करते हुए दिशानिर्देश निर्धारित किए जाने चाहिए जिन्हें उपयुक्त प्राधिकारी और राज्य सरकारों द्वारा पूरे देश में अपनाया जा सकता है। अदालत ने उक्त आदेश एक 17 वर्षीय लड़की द्वारा उसके बीमार पिता को उसके लीवर का एक हिस्सा दान करने के लिए आवश्यक अनुमति देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। एम्स की मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया था कि बच्ची स्वस्थ है और निर्धारित मानदंडों के तहत अपने लीवर का एक हिस्सा अपने पिता को दान कर सकती है। अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए लड़की को एम्स जैसे विशेष केंद्र में प्रक्रिया से गुजरने की अनुमति दी।