नई दिल्ली । 26 साल का युवक सुबह घर से सैर करने निकला, कुछ दूर ही चला होगा कि अचानक उसके आंखों के सामने अंधेरा छा गया। वह अचानक जमीन पर गिर गया। उसे तुरंत डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल लेकर आए। यहां जांच करने से पता चला कि ब्रेन स्ट्रोक के कारण अचानक गिर गया था।  यह अकेला मामला नहीं है। इन दिनों डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ऐसे रोजाना पांच से छह मामले आ रहे हैं। यह आंकड़ा सामान्य दिनों के मुकाबले करीब दोगुने हैं। ऐसा ही हाल सफदरजंग, एम्स सहित अन्य बड़े अस्पतालों का है। जबकि दिल्ली सरकार के छोटे अस्पतालों में ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में करीब 20  प्रतिशत का इजाफा देखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में गिरे पारे से दिमाग की नसें ब्लॉक हो सकती हैं। इनके फटने का भी खतरा बना रहता है। ठंड के कारण धमनियों में खून का धक्का बनने की स्थिति बढ़ जाती है। इसके अलावा अनियंत्रित रक्तचाप, मधुमेह, तनाव, चिंता, नशा, धूम्रपान, मोटापा, दैनिक क्रियाओं का अभाव, ज्यादा खाना सहित अन्य कारणों ने इसे और बढ़ा दिया है। डॉक्टरों की सलाह है कि ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज होने से 10-12 दिन पहले लक्षण दिखने लगते हैं। यदि उन लक्षणों को पहचान कर तुरंत जांच करवाते हैं तो किसी भी बड़ी समस्या से बच सकते हैं।