नई दिल्ली । छठी मैया सूर्य देव की आराधना का रविवार को शाम का अर्घ दिया जाएगा और सोमवार को सुुबह का अर्घ देने के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व समाप्त होगा। इससे खरना का दिन नहाय-खाय के बाद शाम के अर्घ के दिन एक दिन से पहले आता है। छठ पूजा में खरना के दिन को विशेष माना जाता है। इस दिन छठी मैया आगमन अपने भक्तों के घर में होता है। 17 नवंबर को नहाय धोए के साथ आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है। चार दिन तक चलने वाला ये पर्व बेहद खास होता है। छठ पूजा के दूसरे दिन छठी मैया के लिए खास प्रसाद तैयार होता है। दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। छठ पूजा पर खरना का विशेष महत्व होता है। छठ पूजा के दिन घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। छठ मैया में आस्था रखने वालों में यह धारणा पहले से ही है कि जिस जगह गंदगी होती है, वहां पर छठी मैया का वास नहीं होता है। छठ पूजा के दौरान घर को गंदा न होने दें। इस व्रत में साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाता है। खरना के दिन व्रत का प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसको लेकर साफ-सफाई का काफी ख्याल रखा जाता है, व्रती के साथ-साथ घर के दूसरे सदस्य भी प्रसाद बनाने में मदद करते हैं। छठ पूजा के दूसरे दिन प्रसाद बनाया जाता है, घर की महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं। प्रसाद में दूध, गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है। व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य देव को जल देकर ही इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। फिर घर के बाकी सदस्यों में इसे बांट दिया जाता है। माना जाता है कि छठ पर्व की असली शुरुआत इसी दिन से होती है। करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है और जब तक उगते सूर्य को अर्घ्य नहीं दिया जाता ये कठिन व्रत जारी रहता है।