नई दिल्ली | ग्रेटर कैलाश वृद्धाश्रम में आग लगने के मामले में पुलिस के अलावा क्राइम व एफएसएल की टीम ने साक्ष्य जुटाए हैं। शुरुआती जांच के बाद सूत्रों का दावा है कि रात को नववर्ष का जश्न मनाने के लिए जलाई गईं मोमबत्तियों की वजह से आग लगी। आग ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया, जिसमें कई बुजुर्ग फंस गए। हालांकि, जांच एजेंसियां आग के सही कारणों का पता लगाने में जुटी हैं।एक अधिकारी ने बताया कि बुजुर्गों के कमरों में सर्दी की वजह से हीटर भी इस्तेमाल किए जाते थे। ऐसे में हीटर या शार्ट सर्किट से भी आग लगने की आशंका है।

नए साल के जश्न के लिए कुछ बुजुर्गों के परिजन आए हुए थे। इन लोगों ने मोमबत्तियां भी जलाई थीं। आग तीसरी मंजिल से नीचे की ओर दूसरी मंजिल पर आई। दमकल कर्मियों ने आग को आगे बढ़ने से रोक दिया। पुलिस और दमकल कर्मियों की टीम जब तीसरी मंजिल पर पहुंची तो बुजुर्ग महिलाओं के शव लगभग कोयले जैसे हो गए थे। दोपहर बाद एफएसएल की टीम वहां पहुंची। इसके बाद शव पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में भेजे गए। परिजनों के विदेश से आने के बाद ही शवों का पोस्टमार्टम कराया जाएगा।

आग लगी तो इमारत में धुंआ भरना चालू हो गया। स्टाफ डर की वजह से बुजुर्गों को छोड़कर भाग गया। एक राहगीर ने सावित्री सिनेमा के पास पिकेट पर पुलिस को खबर दी। मौके पर पुलिस को बस केयर सेंटर का गार्ड मिला। पुलिसकर्मियों ने पहले अग्निशमन उपकरणों की मदद से आग पर काबू पाने का प्रयास किया। बाद में एक-एक कर बुजुर्गों को नीचे उतारा।दमकल विभाग को करीब 5:15 बजे आग लगने की खबर मिली थी। इसके बाद भी गाड़ियां करीब 40 मिनट देरी से पहुंचीं। इस बीच आग फैलती चली गई। बाद में चार गाड़ियां पहुंचीं और आग पर काबू पाया।

कंचन अरोड़ा के परिजन अमेरिका और इंग्लैंड में रहते हैं। परिवार में दो बेटे व एक बेटी हैं। रविवार को एक बेटा खुद ही इंग्लैंड से भारत लौट रहा था। कमल का परिवार भी विदेश में रहता हैं। एक पोता सीआर पार्क में रहता है। नए साल के मौके पर वह दादी के पास आया था। नया साल मनाकर रात को वह लौट गया था।वृद्धाश्रम में 15 बुजुर्गों को देखभाल के लिए रखा गया था। इनके साथ एक-एक सहायक था। इतने ही लोगों का स्टाफ भी मौजूद था। आग लगते ही अफरातफरी मच गई। चीख पुकार मचने पर वहां मौजूद स्टाफ भाग गया। वृद्धाश्रम में ज्यादातर लोग खुद चलने-फिरने की स्थिति में नहीं थे।

इसलिए किसी को कंधे पर डालकर तो किसी को व्हील चेयर की मदद से नीचे उतारा गया। एक-एक कर 13 बुजुर्गों को इमारत से सुरक्षित निकाला गया। एक बुजुर्ग को गंभीर होने पर मैक्स साकेत अस्पताल भेज दिया गया जबकि 12 अन्यों को ओखला-जसोला स्थित दूसरे सेंटर में भेजा गया।मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बुजुर्गों की देखभाल के लिए निजी कंपनी ने मैक्स ग्रुप के साथ मिलकर एक केंद्र बनाया हुआ है। जो लोग विदेश या देश के दूसरे हिस्सों में रहते हैं, वे अपने बुजुर्ग परिजन को देखभाल के लिए यहां छोड़ देते हैं। यहां डॉक्टर नर्स के अलावा दूसरे सहायक मौजूद होते हैं जो इनकी दवाई खाने-पीने से लेकर दूसरी जरूरतों का ख्याल रखते हैं।