रांची। गोड्डा के बाद चतरा में भी महागठबंधन के प्रत्याशी का चेहरा बदल सकता है। गोड्डा में महागठबंधन ने पहले विधायक दीपिका पांडेय सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था, एक दिन पहले ही दीपिका पांडेय सिंह का नाम कट गया और गोड्डा के नए प्रत्याशी के रूप में विधायक प्रदीप यादव को उतार दिया गया।

इसी तरह चतरा में महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस नेता केएन त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतारा गया है, जिसका राजद चतरा जिला के नेता विरोध कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के भी कुछ नेता केएन त्रिपाठी को चतरा लोकसभा सीट के प्रत्याशी के रूप में पचा नहीं पा रहे हैं।

पहले राजद भी करता रहा है चतरा सीट पर दावेदारी

महागठबंधन में राजद झारखंड की दो लोकसभा सीटों पर अपनी दावेदारी करता रहा। एक सीट पलामू है, जो राजद के पाले में आई और इस पार्टी ने वहां से अपने प्रत्याशी के रूप में ममता भुइयां को उतारा।

चतरा सीट पर राजद अड़ा रहा, लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस ने इस सीट पर केएन त्रिपाठी को उतारकर राजद की दावेदारी समाप्त कर दी। एक दिन पहले रांची में उलगुलान रैली में राजद के कार्यकर्ताओं के गुस्से और राजद तथा कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हुई मारपीट की एक वजह यह भी थी।

बाहरी भगाओ, चतरा बचाओ का बैनर

उलगुलान महारैली में राजद-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी संघर्ष के पीछे चतरा सीट के प्रत्याशी का मुद्दा ही रहा। राजद के कार्यकर्ता पहले तो चतरा सीट खोने से गुस्साए थे, अब उस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में केएन त्रिपाठी को उतारे जाने से से भी खफा हैं। वे महारैली में बाहरी भगाओ, चतरा बचाओ का बैनर लेकर पहुंचे थे।

उन्होंने महागठबंधन के शीर्ष नेताओं से यह मांग कर रखी है कि चतरा से किसी भी प्रत्याशी को उतारें, वह उस क्षेत्र का स्थानीय हो ओर पिछड़ी जाति से हो। चतरा राजद के नेताओं ने अपनी इस इच्छा को शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचा दिया है।

उनका कहना है कि उनकी लड़ाई भाजपा से है। वे महागठबंधन के प्रत्याशी को जिताने के लिए जी-जान लगा देंगे, लेकिन प्रत्याशी कोई बाहरी व उच्च वर्ग का नहीं होना चाहिए। उनकी इस इच्छा से यह प्रबल संभावना बनने लगी है कि चतरा में भी कांग्रेस अपने प्रत्याशी बदलने पर निर्णय ले सकती है।