भोपाल । मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। चुनाव से पहले प्रदेश में दल बदल का खेल जारी है। वहीं बीजेपी-कांग्रेस के सर्वे पर अब दलबदलू पानी फेर रहे हैं। नेता दूसरे दल में शामिल होकर सर्वे का गणित बिगाड़ रहे है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों का साल भर से सर्वे चल रहा है। जिसके बाद पार्टियां नए सिरे से सर्वे करा रही है। इसे लेकर बीजेपी मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने कहा कि हम बीजेपी में किसी को नहीं बुला रहे है, हमसे प्रभावित होकर दूसरे दलों के नेता शामिल हो रहे हैं। वहीं सर्वे को लेकर कहा कि इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।

मोना सुस्तानी
मोना सुस्तानी दिग्विजय सिंह की दाहिनी हाथ मानी जाती थीं। मोना सुस्तानी राजगढ़ लोकसभा से 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थी। मोना को राजगढ़ से लोकसभा का टिकट दिग्विजय सिंह ने ही दिलवाया था। इससे पहले मोना राजगढ़ में जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है। मोना राजगढ़ के पूर्व कांग्रेस विधायक गुलाब सिंह सुस्तानी की बहू है, सुस्तानी परिवार दिग्विजय सिंह का करीबी रहा है।


प्रीतम लोधी
प्रदेश में ब्राह्मणों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर प्रीतम लोधी को बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था। लोधी के माफी मांगने के बावजूद पार्टी ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। प्रदेश के कई जिलों में प्रीतम लोधी का विरोध भी किया गया था। इसके बाद प्रीतम लोधी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलकर कांग्रेस के करीब आए और पिचोर से टिकट की दावेदारी की। जब उनकी दाल नहीं गली तो फिर से बीजेपी से संपर्क किया।


यादवेंद्र सिंह
यादवेंद्र सिंह मुंगावली से टिकट की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा है। यादवेंद्र पूर्व विधायक राव देशराज सिंह यादव के बेटे हैं।


हीरेन्द्र सिंह
हीरेंन्द्र सिंह कांग्रेस का साथ जोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं। दिग्विजय सिंह के कट्टर समर्थक हीरेन्द्र सिंह की राघोगढ़ में जमीनी पकड़ काफी मजबूत है। वे पूर्व विधायक मूल सिंह दादाभाई के बेटे है। बीजेपी उन्हें जयवर्धन सिंह के खिलाफ मैदान में उतार सकती है।

बलवीर दंडोतिया
पूर्व विधायक बलवीर दंडोतिया ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा है। ग्वालियर चंबल अंचल से बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान रखने वाले पूर्व विधायक बलवीर दंडोतिया ने बीएसपी में घर वापसी की है। बलवीर दंडोतिया साल 2009 में बसपा के टिकिट पर मुरैना श्योपुर लोकसभा चुनाव लड़े थे। 2013 में बसपा के टिकिट पर मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा से वह चुनाव लड़े और विधायक बने। इसके अलावा 2018 में भी वह बसपा के टिकिट पर मुरैना विधानसभा  से चुनाव लड़े थे। वहीं हार मिलने के बाद वह 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लेकिन पार्टी के आंतरिक हालातों को खराब बताते हुए उन्होंने बसपा में घर वापसी की है।