लखनऊ। यूपी में विधानसभा चुनाव में छोटे दल एक बार फिर सत्ता बनाने में ट्रम कार्ड साबित होते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि जिन्हें कभी वोटकटवा माना जाता था, आज वे सत्ता पाने में मददगार साबित हो रहे हैं। दरअसल जातीय व क्षेत्रीय समीकरण के आधार पर छोटी-छोटी पार्टियों से गठजोड़ कर उन्हें साझीदार बनाया जा रहा है। फिलहाल अपना दल का बीजेपी से गठबंधन जारी है। उधर, आरएलडी ने सपा से गठबंधन किया है। वहीं सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
  यूपी में अमूमन छोटे दलों से गठबंधनबहुत कम हुआ करते थे, लेकिन भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2017 में इस दिशा में नई राह खोली। अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जैसे दलों से गठबंधन किया। अपना दल नौ सीटें जीतकर आई तो सुभासपा ने चार सीटें जीतीं। सुभासपा आगे चलकर इतना नाराज हुई कि भाजपा का साथ छोड़ गई। सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर ने सपा से गठबंधन किया है। हालांकि, बीच-बीच में उनके भाजपा के साथ जाने की अटकलें लगती रहती हैं। केंद्रीय राजनीति में छोटे दलों से गठजोड़ का जो फार्मूला निकला उसे राज्य स्तर पर भी अमल में लाया गया। यही वजह रही कि बड़े दलों को छोड़कर छोटे दलों को साथ लेने मुनासिब माना जाने लगा। यूपी की राजनीति में वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा छोटे दलों को साथ लेकर चली। नतीजा सभी के सामने है। इसी राह पर अब समाजवादी भी चल पड़ी है। यूपी में 7 चरणों में चुनाव होंगे। यूपी में इन चरणों के तहत 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होगा। 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे। पहले चरण की शुरुआत पश्चिमी यूपी के जिलों से होगी और धीरे-धीरे कारवां बढ़ते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश पर जाकर समाप्त होगा। यूपी में इस बार भी चुनाव पिछली बार की तरह वेस्ट यूपी से शुरू होंगे। आखिरी चरण पूर्वांचल में होगा। पहले चरण में 58 और आखिरी चरण में 64 विधानसभा सीटों में वोटिंग होगी।