ग्वालियर ।  बुढ़वा मंगल 9 मई को मंगलवार को मनाया जाएगा। बुढ़वा मंगल को संकट मोचन हनुमान जी के दर्शनकर सभी व्याधियों व संकटों से मुक्ति मिल जाती है। नगर के प्रमुख मंदिरों के अलावा दंदरऔ धाम अंचल में ही नहीं समूचे देश में डाक्टर वाले हनुमान मंदिर के नाम से विख्यात हैं। ऐसी मान्यता है कि गोपी रूप में नृत्य करते हुए हनुमानजी के दर्शन मात्र से लाइलाज बीमारी से पीड़ित को राहत मिलती है। यहां कोई दवा व जड़ी बूटी नहीं दी जाती है। केवल एक छोटी सी पूड़िया में मंदिर की भभूती दी जाती है। दंदरौआ धाम के प्रति श्रद्धालुओं का विश्वास व आस्था के कारण यही भभूती दवा का काम करती है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। मंदिर का निरंतर विस्तार हो रहा है। बच्चों को मंदिर प्रागंण गुरूकुल के रूप वेदपाठन की शिक्षा भी दी जाती है। भोजनशाला में प्रतिदिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी बनाई जाती है। मंदिर में संकटों से निकलने का चक्र भी स्थापित है। हर मंगलवार व शनिवार को यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। बुढ़वा मंगल को भी 25 से 30 हजार श्रद्धालु दर्शनों के लिए जाते थे।

कैसे पहुंचे दंदरौआ धाम

प्रमुख रूप से तीन मार्गों से दंदरौआ धाम से जाया जा सकता है। पहला ग्वालियर जिला मुख्यालय से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। मुरार बारादरी से बड़ागांव, उटीला, हस्तिनापुर व उटीला होकर मेहगांव पहुंचा जा सकता है। मंगलवार को शेयरिंग टैक्सी बारादरी मुरार से आसानी से मिल जाती हैं।

- मालनपुर-गोहद होकर भी दंदरौआ धाम पहुंचा जा सकता है।

- डबरा से मौ होकर दंदरौआ धाम की दूरी 67 किलोमीटर के लगभग है।

- भिंड जिले से भी दंदरौआ धाम पहुंचा सकता है। इटावा कानपुर से आने वाले लोग इसी मार्ग का उपयोग करते हैं।

पांच मंगलवार व पांच परिक्रमा का महत्व

किसी भी रोग व संकट से निजात पाने के लिए श्रद्धालु पांच मंगलवार निरंतर दर्शन करने का संकल्प लेते हैं, इसके साथ ही पांच परिक्रमा करने का महत्व हैं। मन्नत पूरी होने पर यहां लोग सत्यनारायण की कथा भी कराते हैं।

ऐसे चर्चित हुए डाक्टर वाले हनुमान के रूप में

शिवदास जी महाराज नृत्य करते हुए हनुमानजी के दर्शन करने के लिये आते थे। उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हुई। वे दर्द से काफी परेशान थे। एक बार शरीर त्यागने की इजाजत लेने के लिए मंदिर आए और रात्रि विश्राम करने के लिए रूक गये। उन्हें डाक्टर के रूप में हनुमानजी ने दर्शन दिए और उसके बाद उन्हें कैंसर जैसे रोग से छुटकारा मिल गया। तभी से हनुमानजी को डाक्टर वाले हनुमानजी के रूप में जाना जाता है।

धुआं वाले हनुमान जी दिन में तीन रूप बदलते हैं

ग्वालियर जिले के घाटीगांव स्थित धुआं वाले गांव में स्थित हनुमान जी के प्राचीन मंदिर पर जयंती के अलावा बुढ़वा मंगल पर मेला लगता है। यहां के विग्रह की विशेषता है कि 24 घंटे में तीन रूप बदलती है। सुबह के समय मंदिर की प्रतिमा को ध्यान से देखने पर बाल्य रूप में नजर आते है और दोपहर को युवा अवस्था जैसा तेज होता है, सांझ ढलने पर इनके चेहरे पर वृद्धावस्था की झलक होती है।

40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित

धुआं गांव ग्वालियर जिले की घाटीगांव तहसील से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। जिला मुख्यालय से कुल दूरी 40 किलोमीटर की दूरी है। इसके अलावा शिवपुरी-गुना की तरफ जाने वाली बस से घाटीगांव से जाया सकता है। घाटीगांव से जीपें व टैक्सी धुआं जाने के लिए आसानी से मिल जाती है। इस गांव में पहले लोहे का काम होता था, क्योंकि अयस्क के पहाड़ हैं। महामारी के बाद गांव खाली हो गया था। अब फिर बसाहट हो गई है।

मंदिर का महत्व

पीढ़ियों से मंदिर की सेवा कर रहे अवधेश शर्मा ने बताया कि इस स्थान पर आकर गायों के स्तनों से दूध झरने लगता था। इस स्थान की खुदाई कराने पर पहले बाबड़ी निकली। बाबड़ी में से हनुमान के विग्रह का प्रकाट्य हुआ था। यहां मंदिर बनाकर स्थापित किया गया।