विजया पाठक, संपादक 

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिन पहले पंजाब दौरे के दौरान हुई सुरक्षा में चूक के मामले ने अपना राजनीतिक रूख अपना लिया है। एक तरफ जहां भाजपा नेता और कार्यकर्ता पंजाब की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को इस पूरे मामले का दोषी बता रहे है, वहीं कुछ लोगों ने इसे गांधी परिवार की साजिश करार दिया है। हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा कि इस पूरे मामले के पीछे असल सच्चाई क्या है। कही ये वाकये में पीएम मोदी की सुरक्षा के साथ चूक हुई है या फिर यह महज एक इत्तेफाक है, साजिश है या फिर पॉलिटिकल स्टंट। दराअसल पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई इस चूक ने कई अहम सवाल खड़े कर दिये है। यह सवाल सिर्फ पंजाब सरकार के लिए नहीं बल्कि केंद्रीय गृहमंत्रालय, एसपीजी के तैनात अफसरों और पीएम की सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों को भी कटघरे में खड़ा करते हैं।

अंतिम समय तक नहीं थी कोई जानकारी
   

     पीएम के पंजाब दौरे की जानकारी पीआईबी द्वारा यात्रा के दो दिन पहले जारी की गई थी। इसमें हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय स्मारक जाने का कोई प्लान नहीं था। यही नहीं पीएम ने खुद यात्रा के दिन ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी थी कि वो पंजाब में फिरोजपुर रैली के लिए आ रहे है, लेकिन उसमें भी उन्होंने हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय स्मारक जाने का कोई जिक्र नहीं किया। ऐसे में जब पीएम मोदी बठिंडा एयरपोर्ट उतरे और उसके बाद वहां से फिरोजपुर के लिए रवाना हुए तो अचानक हुसैनीवाला जाने का कार्यक्रम कैसे तय हुआ।
 

140 किमी सड़क यात्रा का फैसला क्यों
   

     पीएम नरेंद्र मोदी खुद सुरक्षा कारणों के चलते सड़क मार्ग से लंबी यात्रा करना पसंद नहीं करते। इसका उदाहरण हम इस बात से भी समझ सकते है कि हाल ही में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस समारोह में शामिल होने के लिए पीएम मोदी भोपाल आए थे। ऐसे में भोपाल के एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल की दूरी महज 20 किमी थी। बावजूद उसके पीएम मोदी ने एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल जाने का फैसला हैलीकॉप्टर के माध्यम से तय किया। तो फिर बठिंडा से फिरोजपुर तक 140 किमी सड़क यात्रा के माध्यम से जाने का फैसला मोदी ने क्यों लिया। जबकि इस यात्रा में लगभग दो घंटे का समय लगता।
 

एसपीजी ने सारे क्लीयरेंस क्यों नहीं लिये
   

    बताया जा रहा है कि जैसे ही फिरोजपुर सड़क मार्ग से जाना तय हुआ एसपीजी ने पंजाब के डीजीपी को इस बारे में तुरंत सूचना दी। सूचना मिलते ही डीजीपी ने 140 किमी लंबे रूट की बाधा रहित यात्रा की हरी झंडी दे दी। बावजूद उसके एसपीजी ने उस पूरी रूट के क्लीयरेंस की जांच खुद क्यों नहीं की। पीएम की सुरक्षा के लिए तैनात एसपीजी कमांडों पर करोड़ों रूपए खर्च करने वाली भारत सरकार के प्रधान की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक एसपीजी की मुस्तैदी पर सवालिया निशान खड़ी करती है। 
 

कांग्रेस अध्यक्ष  सोनिया गांधी ने कहा की प्रधानमंत्री पूरे देश के है उनकी सुरक्षा सर्वोपरी
   

       प्रधानमंत्री की सुरक्षा चूक के मामले में कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी से विस्तृत जानकारी ली है। सोनिया गांधी ने सीएम चन्नी से बात की और कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा के मामले में पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। जो भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और पूरे तरीके से बंदोबस्त किया जाना चाहिए था। सोनिया जी के कहने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने जांच कमिटी बना दी।
 

भाजपा कार्यकर्ता, झंडा कहां से आया
       

  सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि जिस फ्लाई ओवर में पीएम मोदी का काफिला रूका हुआ था। मोदी की गाड़ी से कुछ दूरी पर ही भाजपा कार्यकर्ता भाजपा का झंडा लेकर पहुंच गए। ऐसे समय में एसपीजी कमांडों क्या कर रहे थे। यही नहीं उसी सड़क पर मोदी की कारण से कुछ मीटर दूर पंजाब भाजपा के एक कार्यकर्ता अपनी गाड़ी में बैठकर वीडियो बनाते हुए मोदी की सुरक्षा में चूक की कमेंट्ररी कर रहे थे। इस व्यक्ति को एसपीजी ने वीडियो बनाने से क्यों नहीं रोका। एक अहम सवाल इस पूरे मामले का वीडियो किसने बनाया। जबकि पीएम की सुरक्षा के प्रोटोकॉल अनुसार पीएमओ से अप्वाइंट फोटोग्राफर के अलावा मोदी की तस्वीर या वीडियो इतने करीब से कोई नहीं ले सकता। तो क्या यह फोटोग्राफर मोदी खुद साथ लेकर चलते हैं। अगर ऐसा है तो यह एसपीजी कमांडों की कार्यशैली पर सवालियां निशान खड़ा करता है। कुल मिलाकर इस पूरे घटनाक्रम के फुटैज जिस तरह से बाहर आए है उन्हें देख निश्चित ही यह समझ आता है कि कहीं यह प्रधानमंत्री का पॉलिटिकल स्टंट तो नहीं। यही नहीं इस पूरी घटना के बाद जिस तरह से बीजेपी कार्यकर्ता, राज्यों के मुख्यमंत्री पीएम की लंबी उम्र के लिए पूजा-पाठ कर रहे है यह भी पॉलिटिकल स्टंट की ओर इशारा करता है।