Somwar Puja Vidhi: सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इस दिन भगवान शंकर की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही सोमवार का व्रत भी रखा जाता है. कई भक्त विशेष कामना के साथ 16 सोमवार का व्रत भी रखते हैं.

मान्यता है कि जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा व सोमवार व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सोमवार के व्रत तीन प्रकार के है- साधारण प्रति सोमवार, सोम्य प्रदोष और सोलह सोमवार - तीनों व्रत की विधि एक जैसी होती है. आगे पढ़ें सोमवार पूजा विधि, मंत्र और जरूरी नियमों के बारे में.

Somwar Puja Samagri: सोमवार पूजा सामग्री

सोमवार को भगवान शिव का पूजन कर रहे हैं तो पूजन सामग्री में कच्चा दूध, गंगाजल, बेलपत्र, काले तिल, धतूरा, बेलपत्र, मिठाई आदि शामिल करें.

Somwar Puja Time: सोमवार व्रत पूजा का समय

सोमवार का व्रत साधारणतया दिन के तीसरे प्रहर तक होता है.

व्रत मे फलाहार या पारण का कोई खास नियम नहीं है.

दिन रात मे केवल एक समय भोजन करें.

इस व्रत मे शिवजी पार्वती की पूजा करनी चाहिए.

Somwar Puja Vidhi: सोमवार पूजा विधि

सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें.

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.

सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.

शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं.

भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें.

भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें.

भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.

सोमवार व्रत कर रहे तो कथा पढ़ें, आरती गायें.

भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें.

Somwar Puja Mantra: सोमवार को पढ़ें शिव मंत्र

1. शिव मोला मंत्र

ॐ नमः शिवाय॥

2. महा मृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3. रूद्र गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि

तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

Somwar Puja Aarti: शिव पूजा आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥