अरावली की पर्वत शृंखला में खनन पर लगी पाबंदी से वन्यजीवों की आबादी बढ़ने लगी है। बीते करीब 25 साल से दिल्ली के 32 वर्ग किलोमीटर के दायरे में तेंदुएं, हिरण, गिद्धों सहित करीब 30 प्रजातियों के वन्यजीवों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वन्यजीवों के संरक्षण के लिए जरूरी है कि हरियाली को बढ़ावा देने के साथ-साथ अभ्यारण्य से दूर निर्माण गतिविधियां हो। इससे हरियाली और वन्यजीवों के लिए बेहतर पर्यावरण संतुलन भी रहेगा।

अरावली पर्वत शृंखला में असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंचुरी हैं। करीब 32 वर्ग किलोमीटर के दायरे में जंगल और रिज क्षेत्र हैं। वन्यजीवों को माकूल माहौल मिलने से उनकी संख्या में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। इस क्षेत्र में 30 से अधिक वन्यजीवों समेत 250 से अधिक प्रजातियों का बसेरा है। हर साल प्रवासी पक्षी भी यहां आते हैं।

कंजर्वेशन एजुकेशन सेंटर के असिस्टेंट डायरेक्ट सुहैल मदान के मुताबिक अरावली क्षेत्र में खनन पर पाबंदी लगाए जाने के बाद वन्यजीवों की तादाद बढ़ने लगी है। उन्हें रहने के लिए माकूल माहौल मिले तो संख्या में और भी बढ़ोतरी हो सकती है। अगर वन क्षेत्र कम होंगे तो इससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ने का खतरा बढ़ेगा। पर्यावरण के लिहाज से जरूरी है कि वन क्षेत्र और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनी रहे। वसंत कुंज और सेंट्रल रिज से भी काफी सुधार होगा।

पशुओं की गिनती और उनके व्यवहार का पता करने के लिए असोला भाटी में कैमरे लगाए गए हैं। इससे वन्यजीवों की तमाम गतिविधियों पर नजर बनी रहती है। हाल ही में दो शावकों का जन्म होने के बाद अभ्यारण्य में आठ तेंदुएं और दो शावक हो गए हैं। हिरण, जैकाल, नीलगाय, हॉग डीयर और ब्लैक इगल भी यहां रह रहे हैं। वन क्षेत्र में करीब 250 से अधिक प्रजातियां रहती हैं। हर साल सर्दियों के दौरान विदेशी पक्षी भी प्रवास करते हैं।