धनबाद। रांची से पटना के बीच चलने वाली वंदे भारत ट्रेन के जल्द दौड़ने की उम्मीद बढ़ गई है। रांची से बरकाकाना, हजारीबाग टाउन और कोडरमा होकर पटना तक चलने वाली ट्रेन के लिए बरकाकाना- रांची के बीच नया रेल रूट तैयार हो गया है।

रांची से बरकाकाना तक का घुमावदार सफर होगा खत्‍म

नए रूट के तैयार हो जाने से रांची से बरकाकाना तक का घुमावदार सफर खत्म हो जाएगा। 63 किमी लंबी नई रेल लाइन तैयार होने से रांची से बरकाकाना तक की दूरी 46 किमी हो जाएगी।

रांची-पटना वंदे भारत के चलने की तिथि की आधिकारिक घोषणा अब तक नहीं हुई है। अब कभी भी रेलवे बोर्ड से ग्रीन सिग्नल मिल सकता है। झारखंड-बिहार की यह पहली वंदे भारत एक्सप्रेस होगी।

पांच बड़े, 40 छोटे ब्रिज और तीन सुरंगों से गुजरेगी ट्रेन

रांची से पटना तक वंदे भारत का सफर बेहद रोमांचक होगा। खासतौर पर बरकाकाना से कोडरमा तक पांच बड़े और 40 छोटे ब्रिज के साथ तीन सुरंगों से ट्रेन गुजरेगी। बड़ी-बड़ी खिड़कियों वाली आरामदायक और वातानुकूलित कुर्सी पर बैठकर सुरम्य वादियों को निहारना अपने आप में बेहद सुखद होगा। कोडरमा से गया के बीच घाटियों और सुरंगों वाला रेल मार्ग भी यात्रियों को आकर्षित करेगा।

मिलेगी वैकल्पिक कनेक्टिविटी, चल सकेंगी दूसरी यात्री ट्रेनें

रांची-बरकाकाना रूट तैयार हो जाने से सबसे पहले इस मार्ग पर वंदे भारत एक्सप्रेस चलेगी। इसके साथ ही रांची पहुंचने के लिए वैकल्पिक कनेक्टिविटी मिल जाएगी, जिससे दूसरी ट्रेनें भी चलाई जा सकेंगी। मौजूदा रूट पर ट्रेनों का दबाव कम होगा।

रांची-बरकाकाना के बीच के नए स्टेशन

* रांची से बरकाकाना के बीच सिधवर, हेहल, दरिदाग, सांकी, झांझीटोली, हुंडूर और मेसरा स्टेशन।

* 1259.47 करोड़ है नए रेल मार्ग की लागत।

पर्यटन, शिक्षा और सर्विस सेक्टर को बेहतर कनेक्टिविटी

* बिहार और झारखंड की राजधानी को जोड़ने के लिए सुगम और तेज कनेक्टिविटी मिलेगी।

* सर्विस सेक्टर को बड़ा फायदा मिल सकेगा।

* बरकाकाना केंद्रीय विद्यालय, सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र हजारीबाग और सैनिक स्कूल कोडरमा के लिए  फायदेमंद होगा रूट।

* तिलैया डैम, हजारीबाग वन्य जीव अभयारण्य, रामगढ़ छावनी और छिन्नमष्ता मंदिर तक पहुंचने को मिलेगी बेहतर कनेक्टिविटी।

डीआरएम कमल किशोर सिन्हा ने कहा, "नई ट्रेनों के लिए रांची-पटना रूट तैयार है। बरकाकाना-रांची नए रूट के साथ ही जारंगडीह से पतरातु तक 85 किमी रेल मार्ग का दोहरीकरण भी पूरा कर लिया है। इससे थर्मल पावर प्लांटों को कोल परिवहन के लिए भी बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। यात्री ट्रेनों का परिचालन भी तेज गति से मुमकिन होगा।"