मेज नदी के किनारे बसा प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व रामगढ़ विषधारी अब बाघों का नया गढ़ बढ़ेगा। शनिवार को यहां रणथंभौर से बाघिन टी-102 को शिफ्टि किया गया। यहां 2 साल से बाघ टी-115 रह रहा था, जो रणथंभौर से निकलकर क्वालजी एरिया से मेज पार करते हुए पहुंचा और यहीं बस गया। टी-102 के पहले कदम के साथ ही विषधारी में टाइगर टूरिज्म के दरवाजे खुल गए हैं। टी-102 को 10 दिन तक 4 हेक्टेयर के बाड़े में रखकर मॉनिटरिंग की जाएगी। इसके बाद जंगल में छोड़ा जाएगा।
अगस्त के पहले हफ्ते तक रणथंभौर से एक और बाघिन लाकर छोड़ी जाएगी। अक्टूबर से यहां टूरिज्म शुरू होने की उम्मीद है। रामगढ़ विषधारी बूंदी, कोटा, भीलवाड़ा तक फैला है और इसका मेज से खास रिश्ता है। मेज भी भीलवाड़ा में धनवाड़ा के पहाड़ों से शुरू होकर बूंदी में अपने 100 किमी के सफर में 99 जगह घूमते हुए अजगर जैसा रूप लेती है। रामगढ़ व इसकी पैरिफरी में बसे गांवों व वन्यजीव इसी पर निर्भर हैं। लाखेरी के पास आखिर छोर पर यह चंबल में समाहित हो जाती है। रणथंभौर में अभी 80 बाघ थे। ऐसे में उनके बीच वर्चस्व की जंग बढ़ गई थी। ऐसे में यहां से और बाघों को रामगढ़ शिफ्ट जाएगा। अभी प्रदेश में 105 से अधिक बाघ हैं।