उदयपुर ।  कांग्रेस का चिंतन शिविर 2022 शुक्रवार से राजस्थान के उदयपुर में शुरू हो रहा है। इसके जरिए पार्टी की मुख्य मकसद आत्ममंथन के बाद एक मजबूत एक्शन प्लान तैयार करना है। सत्र की शुरुआत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संबोधन से शुरू होगी और राहुल गांधी के भाषण से खत्म होगी। करीब 500 प्रतिनिधियों को 70-70 सदस्यों के समूह में बांटा जाएगा ये सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण, राजनीतिक, पार्टी संगठन, आर्थव्यवस्था, किसान और युवाओं पर चर्चा करेंगे। ये सदस्य सत्र के बाद 15 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सामने अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के बड़े दिग्गज मंथन के लिए शिविर में जुट रहे हैं। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में इससे पहले भी साल 1998, 2003 और 2013 में भी बैठकें हो चुकी हैं। एक बार इन शिविरों के इतिहास पर नजर डालते हैं। सोनिया गांधी के नेतृत्व में पहला चिंतन शिविर मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में आयोजित किया गया है। उस दौरान भी कांग्रेस आज की तरह कई चुनौतियों का सामना कर रही थी। सत्र के दौरान गठबंधन पार्टियों को अपना गढ़ नहीं सौंपने के फैसले के साथ हुआ। पार्टी ने फैसला किया कि उन्हें चुनाव जीतने के लिए गठबंधन की जरूरत नहीं है। उन्हें भरोसा था कि पार्टी अपने नेताओं के बल पर टिकी रहे पचमढ़ी शिविर के पांच सालों के बाद कांग्रेस को गठबंधन की अहमियत का एहसास हुआ। पार्टी ने 'प्रगतिशील सोच वाले पुरुषों और महिलाओं, संस्थानों और सियासी आंदोलन के साथ' गठबंधन की राह पर जाने का फैसला किया 'जो भारत के इतिहास की हमारी समझ, भारत के मौजूदा हाल पर हमारी चिंताएं और ऐतिहासिक प्रयास में हमारे साथ जुड़ने के लिए भारत के भविष्य के हमारे नजरिए को साझा करता हो।' साल 2003 के शिविर ने कांग्रेस को एक दशक तक सत्ता में बने रहने में मदद की। पार्टी ने अधिकारों पर आधारित शासन मॉडल तैयार किया, जिसमें मनरेगा, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण और आरटीई शामिल थे।