वाराणसी । धार्मिक राजधानी वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य शनिवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एक बार फिर शुरू हो गया। अधिकृत व्यक्ति, जिनमें सभी पक्ष, उनके वकील, अधिवक्ता आयुक्त और वीडियोग्राफर शामिल हैं, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पहुंचकर सर्वेक्षण का काम शुरू हुआ। इस दौरान पूर्णतया शांति रही और किसी भी पक्ष ने कोई अवरोध उत्पन्न नहीं किया। वहीं कल रविवार को भी सर्वे का काम जारी रहेगा। 
सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के 500 मीटर के दायरे में लोगों की आवाजाही रोक दी गई है। पुलिस ने गोदौलिया और मैदागिन इलाके से वाहनों की आवाजाही भी प्रतिबंधित कर दी है। वहीं शांति भंग न हो इसके लिए 1,500 से अधिक पुलिसकर्मियों और पीएसी जवानों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सुरक्षा में तैनात किया गया था। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में प्रवेश करने से पहले हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने कहा कि अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा ने सर्वे टीम के सभी सदस्यों को सुबह 7.30 बजे विश्वनाथ मंदिर परिसर के गेट नंबर-4 पर हाजिर होने का निर्देश दिया था। परिसर की वीडियोग्राफी के लिए विशेष लाइट और कैमरे की व्यवस्था की गई थी। सर्वे टीम में मुकदमे के वादी, प्रतिवादी, उससे जुड़े अधिवक्ता, अधिवक्ता आयुक्त और सहायक अधिवक्ता आयुक्त शामिल हैं।
विदित हो कि ज्ञानवापी मस्जिद प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ धाम के करीब स्थित है और स्थानीय अदालत महिलाओं के एक समूह द्वारा इसकी बाहरी दीवारों पर मूर्तियों के सामने दैनिक प्रार्थना की अनुमति मांगने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही है। इससे पूर्व दीवानी अदालत के न्यायाधीश (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर ने बृहस्पतिवार को मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी सर्वे कराने और इस कार्य के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा को नहीं हटाने का निर्णय लिया था।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य कराने के लिए नियुक्त अधिवक्ता अयुक्त अजय मिश्रा को पक्षपात के आरोप में हटाने की मांग संबंधी याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी थी। अदालत ने स्पष्ट किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी। दीवानी अदालत के न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) दिवाकर ने अधिवक्ता आयुक्त मिश्रा को हटाने संबंधी याचिका को नामंजूर करते हुए विशाल सिंह को विशेष अधिवक्ता आयुक्त और अजय प्रताप सिंह को सहायक अधिवक्ता आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया था। उन्होंने संपूर्ण परिसर की वीडियोग्राफी करके 17 मई तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए थे।