उदयपुर में बनने वाला राजस्थान का सबसे बड़ा मल्टीपरपज इंडोर स्टेडियम दो सरकारों में भी नहीं बन सका। लगभग 24 करोड़ की लागत से बनने वाला स्टेडियम 6 साल से काम पूरा होने के इंतजार में है। 2015 में इस स्टेडियम को बनाने की घोषणा हुई और यह 2022 आ जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है। उससे इसके 2022 में भी पूरा होने की उम्मीद कम है। इसे तैयार कर रही कम्पनी को सरकार से पैसा नहीं मिल रहा है। जिसके चलते कम्पनी ने काम बंद कर दिया है। लगभग 1.5 साल से इसका काम बंद है।

उदयपुर के खेलगांव में यह मल्टीपरपज इंडोर स्टेडियम लगभग 2 एकड़ जमीन पर बनना है। इसका ढांचा तो खड़ा कर दिया गया है। मगर इसने स्टेडियम का रूप अब तक नहीं लिया है। 4000 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी वाला यह प्रदेश का सबसे खूबसूरत और सबसे भव्य स्टेडियम होगा। बैडमिंटन, बास्केटबॉल, हैंडबॉल, कबड्डी, वॉलीबॉल, जूडो, टेबल टेनिस, वेट लिफ्टिंग जैसे इंडोर खेलों के लिए इसमें 12 कोर्ट बनाए जाने हैं। साथ ही मल्टी जिम सेंटर, कैफेटेरिया, मेडिकल एड रूम, स्टीम बाथ जैसी सुविधाएं भी इसमें होंगी। मगर राजस्थान के खिलाड़ियों को यह सब तब मिलेगा जब यह बनकर तैयार होगा।

8 करोड़ रुपए आए, कम्पनी ने 11 करोड़ का काम किया
इस स्टेडियम के लिए 24 करोड़ रुपए स्वीकृत हुआ है। जिसमें से 14 करोड़ केंद्र सरकार और 10 करोड़ रुपए राज्य सरकार से स्वीकृत हुए है। स्टेडियम को तैयार कर रही कम्पनी अब तक लगभग 11 करोड़ का काम कर चुकी है। मगर उसे 8 करोड़ रुपए ही मिला है। लगभग 2.5 करोड़ रुपए का अतिरिक्त काम कम्पनी ने किया है। जिसका भुगतान अब तक सरकार से उसे नहीं मिला है। जिसके चलते कम्पनी ने जुलाई 2020 में काम रोक दिया। तब से अब तक पैसा रिलीज नहीं हुआ।

एजेंसियों के फेर में कैसे अटक रहा स्टेडियम

2015 में स्टेडियम आवंटित हुआ। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसका शिलान्यास किया।

पहले इसे बनाने की जिम्मेदारी आरएसआरडीसी को दी गई। आरएसआरडीसी ने टेंडर भी कर दिए थे। 9 महीने बाद उनसे लेकर स्पोर्ट्स काउंसिल को जिम्मेदारी सौंपी।

स्पोर्ट्स काउंसिल ने इसके लिए पीडीकोर कम्पनी को कंसल्टेंसी के तौर पर हायर किया

 इसके कुछ समय बाद एक बार फिर विवाद हुआ और दोबारा से आरएसआरडीसी को जिम्मेदारी सौंपी गई।

इंदौर की कंपनी मिड इंडिया को स्टेडियम के निर्माण का ठेका दिया गया।

काफी विवादों के बाद अगस्त 2018 में आरएसआरडीसी के साथ स्टेडियम का एमओयू हुआ।

कागजी कार्रवाई और फंड आने में समय लगा। फरवरी 2019 में जाकर स्टेडियम का काम शुरू हुआ।

रुक-रुककर जैसे तैसे जुलाई 2020 तक काम हुआ। मगर सरकार से पैसा नहीं मिलने के चलते कम्पनी ने जुलाई 2020 में काम रोक दिया।

पैसा मिलने के बाद भी 9 महीने का समय लगेगा
स्टेडियम का काम देखने वाले आरएसआरडीसी के AEN लालचंद बताते हैं कि पैसा नहीं मिलने के चलते कंपनी ने काम रोक दिया है। कम्पनी को फेज वाइज पैसा मिलता है। 2.5 करोड़ का काम ज्यादा हो गया है। जिसका पेमेंट नहीं आने से कम्पनी ने काम रोक दिया। इधर कम्पनी के प्रोजेक्ट इंजीनियर महेश हिरवानी ने बताया कि बकाया पेमेंट को लेकर कई बार सरकार से बातचीत हो चुकी है। उम्मीद है कि जल्द पैसा रिलीज हो। स्ट्रक्चर का काम तो काफी हो चुका है। मगर एक बार पेमेंट रिलीज होने के बाद भी इसे तैयार होने में 9 महीने का समय लग सकता है।

राज्य सरकार के पैसा नहीं देने से केंद्र का भी अटका
प्रोजेक्ट पूरा होने में आ रही देरी के पीछे सबसे बड़ी लापरवाही प्रदेश सरकार की सामने आ रही है। चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही सरकारों इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में खास रूचि नहीं दिखाई। पहले बीजेपी सरकार में काम शुरू होते-होते 5 साल पूरे हो गए। उसके बाद कांग्रेस ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। प्रोजेक्ट के लिए जो पैसा अब तक आया है उसमें बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार का है। वहीं राज्य सरकार का अपना हिस्सा नहीं देने से केंद्र ने भी अब अपना बाकी का पैसा रोक दिया है।